Accused of kidnapping rape and murder of two and a half year old innocent sentenced to death: digi desk/BHN/अहमदाबाद/ मोबाइल पर पोर्न फिल्म देखकर दीपावली के दिन ढाई साल की मासूम का अपहरण कर उसके साथ दूष्कर्म व बर्बर तरीके से हत्या के दोषी गुड्डू मधेश यादव को सूरत की अदालत ने फांसी की सजा दी है। अदालत ने सरकार को 20 लाख रु का मुआवजा पीडित परिवार को देने के भी निर्देश दिये हैं। सूरत के पांडेसरा में रहने वाले एक श्रमिक परिवार की ढाई साल की मासूम 4 नवंबर को दीपावली की रात गायब हो गई थी, पुलिस को इसकी शिकायत करने पर सीसीटीवी फूटेज के आधार पर पुलिस ने मासूम को कंधे पर लेकर ले जाते हुए एक व्यक्तिि की पहचान की। इस दौरान पुलिस को मासूम का शव पांडेसरा में झाडियों में मिला था। करीब एक सौ पुलिसकर्मियों ने मिलकर 200 सीसीटीवी फूटेज व 3 प्रत्यक्षदर्शियों के आधार पर पुलिस ने 8 नवंबर को गुड्डू मधेश यादव को दबोच लिया था। गुड्डूू ने अपना अपराध कबूल कर लिया था, पुलिस के अनुसार वह सेक्स मेनियाक है। पुलिस ने महज 7 दिन में 246 पेज का आरोपपत्र सूरत की पॉक्सो कोर्ट में पेश किया तथा 42 लोगों की गवाही पेश की। अदालत ने 29 दिन में सुनवाई पूरी कर ली।
भारतीय दंड संहिता की धारा 302, 376ए, 376बी, 363, 366 व पॉक्सो एक्ट के तहत आरोपी गुड्रृडु को दोषी पाया गया तथा उसे मंगलवार को फांसी की सजा सुनाई। गुड्डू शादीशुदा है तथा मूल रूप से बिहार का रहने वाला है। वह दो बच्चों का पिता भी है। वह सूरत जीआईडीसी में एक फैक्ट्रीटमें काम करता है। पुलिस को जांच के दौरान उसके मोबाइल से 150 पोर्न फिल्म मिली। पुलिस ने मोबाइल फोन में अश्लील कंटेंट अपलोड करने वाले मोबाइल शॉप मालिक सागर शाह की भी धरपकड की है।
सरकारी वकील नयन सुखडवाला ने बताया कि विशेष अदालत के जज पी एस काला ने इस मामले को अतिदुर्लभतम मानते हुए केस की सुनवाई की। उन्होंने इस केस की दलील के लिए 31 पुराने मामलों का उदाहरण दिया। मृतक का डीएनए, दाढ, खून के सेंपल के आधार पर पीडित परिवार के साथ उसके संबंधों की पुष्टी की गई। सूरत कोर्ट कीओर फांसी की सजा को मान्य करने के लिए हाईकोर्ट को इस केस का जजमेंट कॉपी भेजी जाएगी। फांसी की सजा केमामले में निचली अदालत को इस प्रक्रिया का पालन करना होता है।
सरकारी वकील ने बताया कि ग्रह राज्यमंत्री हर्ष संघवी ने इस केस की जांच में पूरी मदद का भरोसा दिया साथ ही सबूत व गवाहों को उपस्थिति कराने में भी मदद की पहल की जिसके चलते 29 दिन में इसका फेसला हो गया। गौरतलब है कि दिपावली के दिन ही ऐसी ही एक घटना गुजरात की राजधानी गांधीनगर में भी हुई थी, अदालत ने इस मामले में दोषी को जीवन की अंतिम श्वांंस तक जेल की सजा सुनाई, लेकिन सरकारी वकील ने फांसी की मांग करते हुए इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है।