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MP: जनजातीय गौरव दिवस से शुरू होगा प्रदेश में बकरी दूध विक्रय

पशुपालन मंत्री श्री पटेल बड़वानी से करेंगे शुभारंभ

सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ जनजातीय गौरव दिवस से मध्यप्रदेश के लोगों को स्वास्थ्यवर्धक और सुपाच्य बकरी का दूध मिलने लगेगा। पशुपालन एवं डेयरी मंत्री प्रेम सिंह पटेल 15 नवम्बर को बड़वानी के राज्य स्तरीय कार्यक्रम में बकरी दूध विक्रय का शुभारंभ करेंगे। बकरी दूध विक्रय की शुरूआत जबलपुर और इंदौर के जनजाति बहुल जिलों से एकत्र दूध से होगी। इंदौर संभाग के धार, झाबुआ, बड़वानी और जबलपुर संभाग के सिवनी, बालाघाट जिलों के जनजातियों से 50 से 70 रूपये प्रति किलो की दर से बकरी का दूध इंदौर एवं जबलपुर दुग्ध संघ द्वारा खरीदा जा रहा है। 200 एमएल की बॉटल में अधिकतम 30 रूपए की दर से यह दूध फिलहाल जबलपुर और इंदौर दुग्ध संघ के पार्लरों पर उपलब्ध होगा।

पौष्टिक तत्वों से भरपूर है बकरी दूध

बकरी का दूध पौष्टिक खनिज तत्वों से भरपूर होता है। कार्बोहाईड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, तांबा, जिंक आदि का उत्तम स्त्रोत होने से यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक है। वसा के कण अन्य दूध की तुलना में छोटे होने से जल्दी एवं आसानी से पच जाता है। दैनिक अनुसंशित मूल्य का 33 प्रतिशत कैल्शियम शरीर को प्रदाय कर हड्डियों के घनत्व को बढ़ाता है। बकरी के दूध में मध्यम श्रेणी का फैटी एसिड होने से यह शरीर को अधिक ऊर्जा देने के बावजूद चर्बी के रूप में जमा नहीं होता। इससे वजन नियंत्रित रहता है। आँतों के विकार और कोरोनरी रोग के इलाज में भी सहायक है।

कोलेस्ट्रॉल को कम करता है

बकरी का दूध शरीर में अच्छे कोलेस्टॉल के स्तर को बढ़ाकर खराब कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर नियंत्रित करता है। हृदय को कोरोनरी बीमारी से बचाने में प्रभावी है। बकरी का दूध चयापचय (मेटाबॉलिक) एजेंट होने से कॉपर और आयरन को भी मेटाबोलास कर सकता है। पाचन और कब्ज की समस्या और सूजन दूर करने में भी सहायक है। बकरी के दूध में उपलब्ध वसा एवं ट्राइग्लेसराइडस् मानव त्वचा में निखार लाते हैं। त्वचा को नर्म एवं स्वस्थ रखता है। इसमें मौजूद विटामिन-‘ए’ चेहरे के कील-मुँहासे को दूर कर रंग में निखार लाता है।

डेंगू से सुरक्षा

बकरी का दूध रक्त में प्लेटलेटस् को नियंत्रित कर डेंगू से सुरक्षा करता है। लेक्टोज इन्टोलरेंट लोगों के लिये बकरी का दूध एक अच्छा विकल्प है। जिन लोगों को दुग्ध शर्करा से एलर्जी है, उनके लिये बकरी का दूध अच्छा विकल्प है। बकरी के दूध में अधिकतर ए-2 प्रोटीन होता है, जो एलर्जिक नहीं होता और कोलाइटिस, चिड़चिड़ापन एवं आंतों के सिंड्रोम आदि से सुरक्षा करता है। बकरी का दूध अस्थिक्षय को भी रोकता है।

जनजातीय हितग्राही को पंचायत मुख्यालय पर नहीं जाना पड़ेगा राशन लेने

मध्यप्रदेश शासन द्वारा प्रदेश में ‘मुख्यमंत्री राशन आपके ग्राम योजना’ प्रारंभ की जा रही है। योजना में राशन वितरण वाहनों के माध्यम से ग्राम में ही राशन वितरित किया जायेगा। जनजातीय हितग्राहियों को अब उचित मूल्य राशन लेने के लिये पंचायत मुख्यालय पर नहीं जाना पड़ेगा। इससे उन्हें राशन प्राप्त करने में सुविधा और समय की बचत भी होगी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 15 नवंबर को भोपाल के जम्बूरी मैदान में जनजातीय गौरव दिवस समारोह में इस योजना की विधिवत शुरूआत करेंगे।

485 राशन वाहन अनुबंधित

योजना के संचालन के लिये प्रदेश में 485 वाहन अनुबंधित किये गये हैं। इनके माध्यम से प्रदेश के 16 जिलों के 74 जनजातीय विकासखण्डों में उचित मूल्य राशन वितरित किया जायेगा। योजना से 6 हजार 575 गाँवों के 7 लाख 43 हजार परिवार लाभांवित होंगे। प्रतिमाह लगभग 16 हजार 944 मीट्रिक टन राशन का वितरण किया जायेगा। राशन वाहनों को कस्टमाइज कर उन पर तौल काँटा, बैठक व्यवस्था, माईक, पंखा, लाईट एवं सामग्री की सुरक्षा के प्रबंध किये जायेंगे। वाहन पर महत्वपूर्ण शासकीय योजनाओं का प्रचार-प्रसार भी किया जायेगा।

अनुसूचित जनजाति के युवाओं के वाहन अनुबंधित होंगे

योजना के संचालन के लिये अनुसूचित जनजाति के युवाओं के वाहन अनुबंधित किये जायेंगे। एक टन खाद्यान्न क्षमता वाले वाहन के लिये 24 रूपये तथा 2 टन क्षमता वाले वाहन के लिये 31 हजार रूपये प्रतिमाह किराया प्रदान किया जायेगा। हर चार महिने में किराये की दर को पुनरीक्षित किया जा सकेगा।

मार्जिन मनी भी दी जायेगी

राशन वाहन क्रय करने के लिये अनुसूचित जाति के युवाओं को एक टन क्षमता के वाहन के लिये 2 लाख रूपये एवं एक टन से अधिक क्षमता के वाहन के लिये 3 लाख रूपये प्रति वाहन मार्जिन मनी शासन द्वारा दी जायेगी। सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया के माध्यम से हितग्राहियों को 7.40 प्रतिशत की रियायती दर पर ऋण दिलाया जायेगा।

अनुदान प्राप्त अशासकीय संस्थाओं के 8353 जनजातीय छात्र-छात्रायें हुये लाभान्वित

मध्यप्रदेश में अनुसूचित जनजातियों की बड़ी आबादी निवास करती है। जनजाति वर्ग के विकास में केंद्र और राज्य सरकार सदैव कटिबद्ध रही है। राज्य सरकार ने जनजातीय समुदाय की सर्वांगीण विकास की राह प्रशस्त करने इस वर्ग के शैक्षणिक विकास पर विशेष ध्यान दिया है। राज्य शासन की विभागों की शैक्षणिक संस्थाओं के अलावा अशासकीय संस्थाओं में पढ़ने वाले जनजातीय वर्ग के छात्र-छात्राओं को अच्छी शिक्षा-दीक्षा, रहन-सहन, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से इन अशासकीय संस्थाओं को राज्य शासन अनुदान देती है और इनमें पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को छात्रावास शिष्यवृत्ति भी प्रदान की जाती है।

सतना जिले में अनुदान प्राप्त 2 अशासकीय शिक्षण संस्थाओं द्वारा जनजातीय वर्ग के सर्वांगीण विकास एवं उत्थान के लिए शैक्षणिक संस्थाओं का संचालन सत्र 1988-89 से किया जा रहा है। इनमें पांडेय शिक्षा समिति एवं दीनदयाल शोध संस्थान चित्रकूट सतना में कक्षा एक से कक्षा बारहवीं तक के जनजातीय बालक-बालिकाओं को आवासीय सुविधा के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा वर्ष 1993-94 से प्रदान की जा रही है। इन संस्थाओं में 325 बालिका एवं 500 बालक शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इन संस्थाओं में छात्र-छात्राओं के शिक्षण के साथ कंप्यूटर शिक्षा, लघु उद्योग संबंधी शिक्षा प्रदान की जाती है। इन संस्थाओं में जनजातीय वर्ग के छात्र-छात्राओं की शिक्षा में गुणात्मक विकास के प्रयास जारी हैं। कक्षा 12वीं उत्तीर्ण करने के बाद संस्था के छात्र-छात्राएं शिक्षा, मेडिकल, इंजीनियरिंग आदि क्षेत्रों में अपनी उपलब्धियां अर्जित कर रहे हैं। इन संस्थाओं के छात्रावास में राज्य शासन की ओर से जनजातीय वर्ग के छात्र-छात्राओं को निःशुल्क आवास, भोजन, वस्त्र, किताब, स्टेशनरी, चिकित्सा सुविधा एकदम निःशुल्क मुहैया कराई जाती है। इन संस्थाओं में खेलकूद की गतिविधियों में भाग लेकर जनजातीय वर्ग के छात्र-छात्राएं एवं प्रदेश स्तर पर अपना नाम रोशन करने में सफलता अर्जित करते आ रहे हैं।

आदिम जाति कल्याण विभाग के जिला संयोजक अविनाश पांडेय बताते हैं कि सतना जिले में संचालित इन दोनों अनुदान प्राप्त अशासकीय संस्थाओं के माध्यम से जनजातीय वर्ग के 8353 छात्र-छात्राओं को लाभान्वित किया गया है। वर्ष 2006-07 से वर्ष 2020-21 तक जनजातीय वर्ग के छात्र-छात्राओं को 7 करोड़ 30 लाख 28 हजार छात्रावास शिष्यवृत्ति भी प्रदान की गई है।

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