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राष्ट्रीय एकता दिवस: वल्लभभाई पटेल को सबसे पहले ‘सरदार’ किसने कहा? लौह पुरुष से जुड़ी अनसुनी कहानियां

नयी दिल्ली/ गुजरात के नाडियाड में 31 अक्टूबर साल 1875 को जन्मे सरदार वल्लभभाई पटेल को नए भारत का शिल्पकार कहा जाता है. आजादी के बाद टुकड़ों में बंटी 565 रियासतों का विलय करके सरदार पटेल ने अखंड भारत का निर्माण किया था. इस काम में पटेल का साथ दिया था उनके प्रिय सहयोगी वीपी मेनन ने.

बचपन में स्कूल में कर दिया था आंदोलन

पहला किस्सा वल्लभाई पटेल के बचपन से जुड़ा है. बात उन दिनों की है जब वल्लभभाई पटेल प्राइमरी स्कूल में पढ़ते थे. उन दिनों नियम था कि छात्रों को किताबें और पेंसिल शिक्षकों से खरीदनी पड़ती थी.पटेल को ये बात पसंद नहीं आई. उन्होंने अपने साथ के बच्चों को इकट्ठा किया और स्कूल में आंदोलन कर दिया. 6 दिन तक चले आंदोलन के बाद स्कूल प्रशासन को झुकना पड़ा और ये नियम हटा लिया गया.

 किसने सरदार कहा

दूसरा किस्सा उनके सरदार उपनाम से जुड़ा है. बात सन 1928 की है. ब्रिटिश सरकार ने गुजरात में किसानों पर 22 फीसदी का लगान थोप दिया था. पटेल ने इसके खिलाफ आंदोलन किया.

बारदोली में पटेल ने किसानों को साथ लेकर ब्रिटिश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. सरकार को झुकना पड़ा और लगान की दर घटाकर 6.03 फीसदी कर दिया गया. आंदोलन की सफलता से उत्साहित बारदोली की महिलाओं ने नाम दिया सरदार.

जब कोर्ट में बहस के दौरान मिला वो तार

तीसरा किस्सा पटेल की कर्तव्यपरायणता से जुड़ा है. 11 जनवरी 1909 को वल्लभाभाई पटेल कोर्ट में बहस कर रहे थे. तभी उन्हें एक तार मिला. वल्लभभाई पटेल ने वो तार चुपचाप अपनी कोर्ट की जेब में रख लिया. 2 घंटे की बहस के बाद पटेल वो केस जीत गए.

केस जीतने के बाद वकीलों और जज को पता चला कि तार में दरअसल पटेल की धर्मपत्नी की मृत्यु का समाचार था. जज ने पटेल से पूछा कि आपने कोर्ट को बताया क्यों नहीं. जवाब में पटेल ने कहा कि मैं अपना फर्ज निभा रहा था.

हैदराबाद का विलय करवाने के लिए सख्ती

भारतीय संघ में रियासतों का विलय करवाने में वल्लभभाई पटेल ने कभी-कभी सख्ती से भी काम लिया. चौथा किस्सा इसी से जुड़ा है. हैदराबाद का नवाब इसके लिए तैयार नहीं हो रहा था. वहां 2 गुटों में खूनी संघर्ष छिड़ा था. सरदार पटेल ने कहा कि हैदराबाद भारत के पेट में मौजूद कैंसर का रूप लेता जा रहा है. इसका इलाज करना होगा.

पटेल ने कहा कि वहां सर्जिकल ऑपरेशन किया जाना चाहिए. मीटिंग में शामिल एक सेनाध्यक्ष जनरल रॉबर्ट बूचर इसके लिए तैयार नहीं था. उसने कहा कि यदि मेरी मर्जी के खिलाफ हैदराबाद में सैन्य कार्रवाई की गई तो मैं कल इस्तीफा दे दूंगा.

जवाब में सरदार पटेल ने कहा कि बेशक आप आज ही इस्तीफा दे दीजिए लेकिन कल हर हाल में हैदराबाद में सर्जिकल ऑपरेशन शुरू किया जाएगा. आखिरकार सैन्य हस्तक्षेप के बाद ही हैदराबाद का भारत में विलय करवाया जा सका. ये उनके सख्त फैसला लेने की क्षमता का एक नमूना था.

महात्मा गांधी के बेहद करीब थे सरदार पटेल

सरदार पटेल महात्मा गांधी के काफी करीबी थे. गांधीजी से प्रभावित होकर की वल्लभभाई पटेल स्वाधीनता की लड़ाई में शामिल हुए थे. पटेल ने गांधीजी से वादा किया था कि वे जवाहरलाल नेहरू का हमेशा सहयोग करेंगे. यही वजह है कि कई मसलों पर मतभेद के बावजूद पटेल कभी नेहरू के खिलाफ नहीं गए.

जब 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई तो पटेल को काफी धक्का लगा. उन्हें दिल का दौरा पड़ा. वे कभी इस बात से उबर नहीं पाए. महात्मा गांधी की मौत के 2 साल बाद 15 दिसंबर 1950 को सरदार वल्लभभाई पटेल ने सदा के लिए आंखें मुंद लीं.

स्टेच्यू ऑफ यूनिटी विश्व की ऊंची प्रतिमा

सरदार पटेल झवेरभाई पटेल और लाडबा पटेल की चौथी संतान थे. सरदार पटेल का पूरा नाम वल्लभभाई जावेरभाई पटेल था. आजादी के बाद बनी पहली अंतरिम कैबिनेट में पटेल उपप्रधानमंत्री बने. बतौर गृहमंत्री पूरे भारत का एकीकरण किया.सरदार वल्लभभाई पटेल को साल 1991 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया.

 

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