सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ देश के साथ प्रदेश में भी ऑनलाइन गेम खेलने के चक्कर में कई युवा और बच्चे अपनी जान गंवा चुके है, तो कई चोरी करने लगे हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए राज्य साइबर सेल ने एडवाइजरी जारी की है ।
राज्य साइबर सेल द्वारा जारी एडवाइजरी में अभिभावकों से कहा गया है कि बच्चों को हो सके तो मोबाइल नहीं दें। ऑनलाइन क्लॉसेस के लिए बिना सिम कार्ड का मोबाइल दें, बच्चों को वाईफाई से इंटरनेट इस्तेमाल करने दें। बच्चों की ऑनलाइन एक्टिविटी पर नजर रखें। परिवार के सभी सदस्यों के मोबाइल में प्ले स्टोर पर पैरेंटल कंट्रोल ऑन करें। पासवर्ड बच्चों को नहीं बताएं, बच्चों को हर तरह के ट्रांजेक्शन की छूट नहीं दें। खाते से पैसे कटने का मैसेज आते ही बच्चों से पैसे कटने का कारण अवश्य पूछें।
किसानो को गेहूं बुवाई संबंधी सलाह
उप संचालक कृषि ने जिले के कृषकों को रबी सीजन में गेहूं बुआई हेतु सलाह दी है कि गेहूं की बुआई में प्रति हैक्टेयर 100 किलोग्राम गेहूं का उपयोग करें। बुआई के दौरान बीज का संतुलित मात्रा में उपयोग करने से उत्पादन अधिक होने के साथ ही रोग, कीट एवं अन्य प्राकृतिक आपदाओं में नुकसान की संभावना कम रहती है। ज्यादातर किसान गेहूं की बुआई बीज का छिड़काव कर करते है, जिसमें 160 से 200 किलोग्राम बीज प्रति हैक्टर में उपयोग होता है। जिससे गेहूं का उत्पादन कम होता है तथा रोग, कीट व प्राकृतिक आपदाओं में नुकसानी की संभावना भी बड़ जाती है। उन्होंने किसानों से अपील की है कि गेहूँ की नई किस्मां जैसे एच. आई 1605 (पूसा उजाला), एच. आई 8759 (पूसा तेजस), एच. आई 1544 (पूर्णा), आर वी डब्ल्यू 4106, डी बी डब्ल्यू 110,एच. आई 8663 (पोषण), एच. आई 8713 (पूसा मंगल), एच. आई 8737 (पूसा अनमोल) की बुआई करें। साथ ही रोगनाशक (मेन्कोजेब 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज), कीटनाशक (क्लोरोपायरीफॉस 5 मिली या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. 1.25 मिली प्रति किलोग्राम बीज) एवं कल्चर (एजोटोबेक्टर 5 ग्राम व पी एस बी 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज) का उपयोग करके बीजोपचार करें।
गेहूँ की बुआई लाईन में 9 इन्च की दूरी पर सीडड्रील द्वारा करें। नई तकनीक फरो इरीगेटेड रेज्ड बेड विधि से बुआई कर कम पानी में अधिकतम उत्पादन लेवें। इस पद्धति में केवल नाली में पानी देवे तथा क्यारी पर गेहूँ की बुआई करें। सिंचित अवस्था में गेहूँ के अधिकतम उत्पादन हेतु 120 किलो नत्रजन, 60 किलो फास्फोरस 40 किलो पोटास एवं 25 किलो जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर की मात्रा का आकंलन करके प्रयोग करें। नत्रजन की आधी मात्रा तथा फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा बुआई के समय प्रयोग करें। नत्रजन को यूरिया के रूप में दो भागों में बांटकर प्रथम सिंचाई (18 से 20 दिन बाद) एवं द्वितीय सिंचाई (35 से 40 दिन बाद) के समय भुरकाव करें। गेहूँ की फसल के बढ़वार के लिये 6 सिंचाई क्राउन जड़ निकलते समय, कल्ले निकलते समय, गांठ बनते समय, गमोठ अवस्था में, दानो में दूध पडते समय तथा दाना पकते समय करें। गेहूँ की फसल में प्रभावकारी खरपतवार नियंत्रण हेतु पेन्डीमिथालीन 30 प्रतिशत की 3.33 किलो प्रति हेक्टर का उपयोग बुआई के तुरंत बाद में तथा अंकुरण से पूर्व नमी वाली अवस्था में करें।