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27 % reservation for OBC: हाई कोर्ट के रुख के बाद ओबीसी को आरक्षण की रणनीति तय करेगी शिवराज सरकार

27 Percent Reservation for OBC: digi desk/BHN/ भोपाल/ अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 फीसद आरक्षण देने के मामले में सरकार हाई कोर्ट का रुख देखने के बाद रणनीति तय करेगी। महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव ने सामान्य प्रशासन विभाग को न्यायालय में लंबित मामलों को छोड़कर 27 फीसद आरक्षण देने संबंधी जो अभिमत दिया है, उस पर भी अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ही लेंगे। विभाग ने इसे मुख्यमंत्री सचिवालय को भेज दिया है। आरक्षण के इस मामले में एक सितंबर को हाई कोर्ट में सुनवाई होनी है।

सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि महाधिवक्ता ने अभिमत दिया है कि जो मामले हाई कोर्ट के समक्ष विचाराधीन हैं, उन्हें छोड़कर 27 फीसद आरक्षण देने के लिए विभाग स्वतंत्र हैं। इस अभिमत के बाद सामान्य प्रशासन विभाग विभागों को दिशानिर्देश जारी करने से पहले मुख्यमंत्री से मार्गदर्शन ले रहा है। दरअसल, मामला नीतिगत है और एक सितंबर को सुनवाई प्रस्तावित है, इसलिए विभाग भी फूंक-फूंककर कदम रख रहा है। वहीं, सरकार भी जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाना चाहती है।

यही वजह है कि इस मामले में रणनीति हाई कोर्ट का रुख देखने के बाद ही तय की जाएगी। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह का भी कहना है कि मुख्यमंत्री पूरे मामले का परीक्षण करने के बाद इस संबंध में निर्णय लेंगे। कोर्ट में सरकार पिछड़ा वर्ग के हक में पूरी दमदारी से अपना पक्ष रखेगी। इस संबंध में मुख्यमंत्री देश के वरिष्ठ अधिवक्ताओं के साथ विचार-विमर्श भी कर चुके हैं।

अब नियुक्तयों और शैक्षणिक संस्थानों में दें 27 फीसद आरक्षण का लाभ

महाधिवक्ता के अभिमत पर पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा कि हमारी सरकार ने पिछड़ा वर्ग को 14 से बढ़ाकर 27 फीसद आरक्षण देने का निर्णय लिया था। इसको लेकर कुछ याचिकाएं हाई कोर्ट में दायर की गई थीं। स्थगन भी उन्हीं पर था पर इस आदेश को लेकर दिए गलत अभिमत के आधार पर सभी विभागों में नियुक्तियों पर रोक लगा दी गई थी। हमारा विरोध इसका ही था। सरकार ने नए सिरे से अभिमत लिया, जिसमें कहा गया है कि 27 फीसद आरक्षण पर रोक नहीं है।

अंतरिम आदेश से संबंधित विभागों को छोड़कर बाकी में नियुक्ति और शैक्षणिक संस्थाओं में बढ़े हुए आरक्षण का लाभ दिया जा सकता है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि सरकारी नियुक्तियों और शैक्षणिक संस्थानों में बढ़े हुए आरक्षण का लाभ तत्काल दिया जाए। साथ ही कोर्ट में भी दमदारी के साथ पिछड़ा वर्ग का पक्ष रखा जाए।

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