शहडोल/भोपाल, भास्कर हिंदी न्यूज़/ वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अधीनस्थ कार्यरत महिला को प्रताड़ित करने का वन विभाग में तीन माह में दूसरा मामला सामने आया है। शहडोल जिले में तैनात रही एक महिला अधिकारी ने इसी वनवृत्त के मुख्य वनसंरक्षक (सीसीएफ) पीके वर्मा के खिलाफ कार्यस्थल पर प्रताड़ित करने की शिकायत की है। मामले की जांच के लिए वन बल प्रमुख आरके गुप्ता ने दो सदस्यीय समिति गठित कर दी है, जो प्रिवेंशन ऑफ सेक्युअल हैरेसमेंट (पोश एक्ट-2013) के तहत जांच कर 10 दिन में रिपोर्ट सौंपेगी।
इसके आधार पर वर्मा के खिलाफ आगे की कार्रवाई की जाएगी। ज्ञात हो कि महिला कर्मचारियों को प्रताड़ित करने के मामले में तीन दिन पहले ही बैतूल के तत्कालीन सीसीएफ मोहनलाल मीणा निलंबित किए गए हैं।
महिला अधिकारी ने वन बल प्रमुख को भेजी शिकायत में सीसीएफ पर बात-बात में महिला होने का अहसास कराने, कुछ कार्यालयीन पत्रों में सीसीएफ द्वारा उन्हें सीधे संबोधित न करते हुए उनके पति के नाम का जिक्र कर संबोधित करने, कार्यालयीन कार्य में दखलंदाजी करने, मातृत्व पर टिप्पणी करने, वरिष्ठ अधिकारियों को उनके विषय में गलत जानकारी देने और उनके निर्णयों को बदलने के आरोप लगाए हैं।
इतना ही नहीं, सीसीएफ पर नीचा दिखाने वाले शब्द बोलने का भी आरोप है। विभाग ने इसे कार्यस्थल पर प्रताड़ना का मामला मानते हुए वन विकास निगम में पदस्थ अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक रेनु सिंह और राज्य लघु वनोपज संघ में पदस्थ अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक अर्चना शुक्ला को जांच सौंपी है। इनमें से अर्चना शुक्ला बैतूल सीसीएफ रहे मोहनलाल मीणा के मामले की जांच भी कर चुकी हैं।
अपमानजनक व्यवहार करना प्रताड़ना की श्रेणी में
प्रिवेंशन ऑफ सेक्युअल हैरेसमेंट (पोश एक्ट-2013) के तहत न सिर्फ कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न के मामले सुने जाते हैं। बल्कि किसी महिला अधिकारी या कर्मचारी के कार्य में हस्तक्षेप करना, उसके लिए अभित्रासमय या संतापकारी या प्रतिकूल कार्य वातावरण तैयार करना, उनके स्वास्थ्य या सुरक्षा को प्रभावित करने वाला अपमानजनक व्यवहार करना भी कार्यस्थल पर प्रताड़ना की श्रेणी में आता है।