Miss universe australia maria thatil: digi desk/BHN/ मिस यूनिवर्स ऑस्ट्रेलिया मारिया थत्तिल हाल ही में गलती से 19 साल के लड़कों के एक व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़ गई थीं। उनके लिए यह अनुभव बहुत ही दुख भरा रहा। महिला सशक्तिकरण और लड़कियों के अधिकारों पर अक्सर बोलने वाली मारिया को यह जानकर हैरानी और निराशा हुई कि लड़के, लड़कियों के बारे में क्या सोचते हैं। मारिया ने बताया कि ग्रुप में पुरुषों ने महिलाओं के बारे में ऐसे बात की “जैसे हम मांस के टुकड़े हैं” और वे महिलाओं का यौन शोषण और अपमान करते रहे।
इसके बाद मारिया ने लड़कों के सेक्सिस्ट व्यवहार के लिए उन्हें बाहर बुलाने का फैसला किया तब केवल एक लड़के ने उन्हें जवाब दिया। मारिया ने इंस्टाग्राम वीडियो में कहा कि जहां लिंगभेद सभी लिंगों को प्रभावित करता है, वहीं “महिलाओं में लिंगभेद के कारण डिप्रेशन से पीड़ित होने की संभावना पांच गुना अधिक होती हैं,” इससे यह साफ होता है कि लिंग-आधारित उत्पीड़न से महिलाएं पुरुषों की तुलना में कहीं अधिक पीड़ित हैं।
सामान्य हो गया है यह व्यवहार
हाई स्कूल में अपने अनुभवों के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि उन्हें परेशान किया गया, मारपीट की गई, झूठ बोला गया। लेकिन उसे कभी माफी नहीं मिली, पुरुषों ने यह तक नहीं माना कि यह गलत था। (पुरुषों से कि यह गलत था।) ऐसा इसलिए था क्योंकि इस तरह का व्यवहार सामान्य हो गया था, मारिया ने कहा, इसलिए लड़कों को नहीं लगा कि उन्होंने कुछ भी गलत किया है।
इस व्यवहार के दूरगामी प्रभाव होंगे
‘लड़के, लड़के ही रहेंगे’ जैसे बयानों के साथ महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न को खारिज करने की प्रवृत्ति पर प्रहार करते हुए मारिया ने कहा कि सोच के कारण महिलाओं के लिए द्वेष, घृणा और अनादर पनपता है। और इससे भी खतरनाक बात यह है कि यही लोग बड़े होकर हमारी नीतियां बनाने वाले राजनेता बनेंगे, वे बोर्ड रूम में पुरुष बन जाएंगे। इसलिए इस तरह के सेक्सिस्ट व्यवहार का दूरगामी प्रभाव पड़ता है।
लोगों ने की सराहना
मारिया ने कहा कि उन्हें उन महिलाओं से कई संदेश मिले जिन्होंने उत्पीड़न का सामना किया है और उन्हें परेशान किया गया है। उनका सोशल मीडिया पोस्ट भी महिलाओं और पुरुषों के संदेशों से भरा था, जिन्होंने मारिया के सेक्सिज्म के खिलाफ बोलने के प्रयासों की सराहना की।