Corona infecttion can prove fatal for psychopaths studey revealed:digi desk/BHN/ नए अध्ययन में सामने आया है कि कोरोना वायरस से सामान्य व्यक्ति की तुलना में मनोरोगियों के मरने या अस्पताल में भर्ती होने की संभावना दोगुना ज्यादा होती है। अध्ययन में पाया गया कि मनोरोगियों को उनकी बीमारी दूर करने के लिए जो दवाएं दी जा रही थीं,उससे भी प्रतिरोधक क्षमता में कमी होने के कारण कोरोना के खतरे बढ़ गए। साथ ही ह्रदय रोग होने की भी संभावना देखी गई। अध्ययन में शामिल पेरिस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मेरियन लेबोयर ने कहा कि जीवन शैली से भी कोरोना के घातक होने का सीधा संबंध है। खराब खानपान, शारीरिक श्रम का न होना, ज्यादा शराब और तंबाकू का सेवन, अनिद्रा जैसे कारण भी कोरोना वायरस की तीव्रता पर असर डालते हैं। अध्ययन में स्वास्थ्य अधिकारियों से मनोरोगियों को प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन लगाने की संस्तुति की है। यह अध्ययन मेडिकल पत्रिका लैंसेट में प्रकाशित हुआ है। इसमें 22 देशों के 33 अध्ययन शामिल किए गए हैं। अध्ययन में 1469731 कोरोना (कोविड-19) रोगियों ने भाग लिया।
इनमें से 43938 मरीज मनोरोगी थे। इन मनोरोगियों के द्वारा एंटीसाइकोटिक्स या एंक्जिंयोलाइटिक्स दवा ली जा रही थी। ऐसे मरीजों में कोरोना से मरने या अस्पताल पहुंचने का खतरा ज्यादा देखा गया। मादक पदार्थों के सेवन से बीमार होने वाले रोगियों में भी कोरोना के खतरे और अस्पताल में भर्ती होने की संभावना ज्यादा रही। कोरोना वायरस का असर हर इंसान पर अलग-अलग होता है। इसका घातक होना प्रतिरोधक क्षमता के साथ ही पुरानी बीमारियों से भी सीधा संबंध रखता है।