OMG Weird case: digi desk/BHN/ जब हम रामायण के बारे में बात करते हैं तो उसमें एक पात्र कुंभकरण होता है, जो सिर्फ सोते ही रहता था, और आज के समय में जो भी सोता हुआ दिखता है उसकी तुलना अक्सर हम इसी कुंभकरण से करते हैं। लेकिन आज हम आपसे एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका जीवन ही सिर्फ सोने मात्र से गुजर रहा है। दरअसल राजस्थान के नागौर में एक शख्स दुर्लभ बीमारी से पीड़ित है, जो साल में लगभग 300 दिन सिर्फ सोता ही रहता है। इतना जानकर तो आपको भी हैरानी होती होगी कि आखिर यह कैसी बीमारी है? तो चलिए जानते हैं इस शख्स के बारे में।
कुंभकरण के नाम से जानते हैं लोग
राजस्थान के नागौर के भदवा गांव में 42 वर्षीय पुरखाराम एक दुर्लभ बीमारी से ग्रसित है। पुरखाराम जब सो जाते हैं तो उन्हें दोबारा उठाना बेहद मुश्किल हो जाता है। घरवाले उन्हें नींद में ही खाना खिलाते हैं। इस बारे में पुरखाराम का कहना है कि उसे दूसरी कोई समस्या नहीं है बस वह हमेशा सोते ही रहता है। उसे सिर्फ नींद ही नींद आती है। वो तो जागना चाहता है पर शरीर साथ नहीं देता। परिवार का कहना है कि पुरखाराम जब सोते हैं तो सिर्फ सोते ही रहते हैं और 20 से 25 दिनों तक नहीं उठते। ऐसे में अगर उन्हें बीच में उठाना पड़ जाए तो यह बहुत ही मुश्किल होता है। बस यही वजह है कि पड़ोस के गांवों से लेकर दूर-दूर तक पुरखाराम को लोग ‘कुंभकरण’ के नाम से जानते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पुरखाराम को इस बीमारी की शुरुआत तब से हुई थी जब वो लगभग 18 साल की उम्र के थे। उस समय शुरुआत में तो वह सिर्फ 5 से 7 दिन ही सोया करते थे, और जब उस दौरान डॉक्टर को दिखाया गया था तब भी इस बीमारी का कोई पता नहीं चला था। जैसे-जैसे समय बीतता गया वैसे-वैसे पुरखाराम के सोने का समय भी बढ़ता गया। डाॅक्टरों का मानना है कि पुरखाराम एक दुर्लभ बीमारी हायपरसोम्निया से ग्रषित हैं। मेडिकल साइंस के जानकारों का मानना है कि ऐसा नहीं है कि वो कभी ठीक नहीं होगें, वो प्राॅपर ट्रीटमेंट के साथ ठीक हो सकते हैं।
बूढ़ी मां और पत्नी को सता रही चिंता
पुरखाराम की पत्नी लिछमी देवी का कहना है कि गांव में उनकी एक दुकान भी है, लेकिन वह उनकी इस बीमारी की वजह से वह अक्सर बंद रहती है। वो दुकान में काम करते-करते सो जाते हैं। वहीं बूढ़ी मां ने बताया कि अभी तक तो चलो खेतीबाड़ी से गुजारा हो रहा है, लेकिन आगे क्या होगा ये सवाल उनकी चिंता की वजह बन चुका है। दरअसल बूढ़ी मां को उनके पोते और पोतियों की पढ़ाई लिखाई की चिंता सता रही है।