सीधी,भास्कर हिंदी न्यूज़। प्राथमिक, माध्यमिक स्कूलों की कक्षाएं पिछले तीन माह से अभिभावकों के बरामदे में संचालित हो रही हैं। कहीं पेड़ के नीचे तो कहीं सुनसान गलियों में बच्चों को एकत्र कर शिक्षक क्लास ले रहे हैं। दूसरी तरफ मोबाइल से भी पढ़ाई कराई जा रही है। मोबाइल से पढ़ने वाले बच्चों के हुए मूल्यांकन में जिले को प्रदेश में टॉप स्थान मिला है।
कोरोना ने स्कूली बच्चों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले प्राथमिक, माध्यमिक स्तर के बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं हो इसके लिए जुलाई महीने से ही विभाग ने कार्यक्रम तैयार किए हैं और उनका क्रियान्वयन भी किया जा रहा है। पहली से लेकर आठवीं तक के छात्रों को पढ़ाई के लिए मोबाइल पर सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है तो शिक्षको को घर-घर जाकर पढ़ाने का निर्देश दिया गया है। बताया जाता है कि शासन के निर्देश पर बच्चों के घर पहुंचने वाले शिक्षक कहीं बरामदे में क्लास लगा रहे हैं तो कहीं गली और चौहट्टे में बच्चों को बिठाकर पढ़ाई करा रहे हैं। रेडियो और दूरदर्शन के माध्यम से अलग पठन सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। जिले में एक लाख 26 हजार बच्चों का पठन-पाठन के लिए नामांकन किया गया है जिसमें 48 हजार बधो मोबाइल और अन्य माध्यमों से पढ़ाई कर रहे हैं। बताया जाता है कि व्हाट्सएप के जरिए पढ़ाई करने वाले छात्रों का बीच-बीच में मूल्यांकन भी किया जाता है। प्रदेश स्तर पर होने वाले मूल्यांकन में सीधी जिला इस बार टॉप पर रहा है। जिले के छात्रों और अभिभावको के पास पर्याप्त मोबाइल सुविधा उपलब्ध न होने के बाद भी पठन-पाठन में बच्चों की अभिरूचि प्रदेश के दूसरे जिलो की अपेक्षा कहीं ज्यादा देखी गई है। संसाधनो का अभाव न होता तो यहां के छात्र और भी बेहतर कर सकते थे। फिलहाल, कोरोना के कारण अभी नहीं लगता कि प्राथमिक, माध्यमिक स्तर की सरकारी स्कूलें संचालित हो पाएंगी और जब तक स्कूलें नहीं खुलती तब तक छोटे बच्चों को कोरोना काल में इजाद किए गए पढ़ाई माध्यमों से ही पठन-पाठन करना पड़ेगा।
स्कूलें खुली पर नहीं आ रहे छात्र
हाई स्कूल और हायर सेकंड्री स्तर की स्कूलों के संचालन की अनुमति तो दे दी गई है किंतु छात्र इसके बाद भी नहीं पहुंच रहे हैं। असल में स्कूल जाने के पहले छात्रों को अपने अभिभावकों से अनुमति लेना जरूरी कर दिया गया है जिस कारण अधिकांश अभिभावक कोरोना संक्रमण को देखते हुए बच्चों को स्कूल जाने की अनुमति नहीं दिए हैं। कुछ बधो स्कूल जरूर पहुंच रहे पर वे केवल प्रश्नो के समाधान कराने के बाद वापस लौट रहे हैं। कक्षाएं अभी भी संचालित नहीं हो पा रही हैं। कक्षाएं संचालित होती तो पूर्व की तरह बधो स्कूल पहुंचते लेकिन कक्षा संचालन में अवरोध होने के कारण सब कुछ औपचारिक ही चल रहा है।