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Shahdol: शहडोल में ब्रेन ट्यूमर के आपरेशन से गई आंखों की रोशनी योग से वापस पाई

शहडोल,भास्कर हिंदी न्यूज़/ ब्रेन ट्यूमर के ऑपरेशन के बाद 1999 में अपनी आंख की रोशनी लगभग पूरी तरह से गंवा चुके रितेश मिश्रा ने योग के बल पर अपने नेत्रों की रोशनी को वापस पा लिया। अब इसी योग के चलते उनका नाम पूरे शहडोल संभाग में जाना जा रहा है। 27 वर्षीय युवा रितेश मिश्रा शहडोल जिले के वार्ड नंबर 16 में रहते हैं। उनके योग की क्लास में शामिल होने वाले आम से लेकर खास व्यक्ति तक के नाम शामिल हैं।

मामा ने दी थी सलाह 

रितेश मिश्रा बताते हैं कि जब ब्रेन ट्यूमर के ऑपरेशन के बाद 1999 में उनके आंख की रोशनी चली गई थी तो उनके मामा अनिल पांडे ने उन्हें कहा कि तुम योग करो। वर्ष 2006 से उन्होंने योग करना शुरू किया। अनुलोम विलोम, प्राणायाम, कपालभाती सहित तमाम क्रियाएं करते करते वर्ष 2011 तक उनकी आंखों की दृष्टि लगभग 80 फीसद वापस आ चुकी थी।

बाबा रामदेव ने किया था अभिनंदन 

27 मई 2011 को योग गुरु बाबा रामदेव जब शहडोल आए तो रितेश मिश्रा का उन्होंने अभिनंदन किया था। रितेश ने हजारों लोगों को मंच से यह बताया था कि उन्होंने योग के जरिए अपनी आंखों को ठीक कर लिया है। इसके बाद तो लोग रितेश का पता पूछने लगे थे।

लगाते हैं बड़े-बड़े कैंप

रितेश मिश्रा इन दिनों कोरोना पॉजिटिव होकर ठीक होने वाले पुलिस अधिकारी और कर्मचारियों को योग सिखा रहे हैं। इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए रितेश योग की क्रिया सिखा रहे हैं।

योग से ठीक हुए लोगों की प्रतिक्रिया

  • -पांडव नगर निवासी प्रतीक दुबे बताते हैं कि गठियावात, कमर में दर्द, घुटने में दर्द सहित कई समस्याएं उनके सामने थीं। उन्होंने रितेश से दो माह का रेगुलर योग सीखा। आज स्थिति यह है कि उनका पेन किलर लेना बंद हो गया है।
  • -प्रभव राज कटारे बताते हैं कि उनका शरीर ठंडा हो जाता था और पसीना बार-बार आता था। बार-बार पेशाब जाने की समस्या थी। दो महीने तक उन्होंने भी अनुलोम विलोम, प्राणायाम, कपालभाती का अभ्यास किया। अब यह पूरी तरह से स्वस्थ हैं । आंखों की रोशनी की समस्या से ग्रसित सुचिता शर्मा का कहना है कि उनको लगता था कि अब उनकी आंख का रेटिना कभी ठीक नहीं होगा। लेकिन उन्होंने जब रितेश से योग की क्लास ली तो उनको भी जो समस्या थी, वह ठीक हो गई है।

संघर्ष से मिली सफलता 

योग ट्रेनर के रूप में प्रसिद्घि पा चुके रितेश मिश्रा का कहना है कि उन्होंने आंखों की रोशनी को वापस लाने के लिए बहुत संघर्ष किया। मामा के कहने पर 2006 में योग शुरू किया था। इसके बाद 2008 में सात दिन का रीवा में शिविर किया। शहडोल में ही योग प्रशिक्षक ने उनको व्यक्तिगत रूप से क्लास देकर योग की बारीकियां सिखाईं। उन्होंने खुद से योग करना शुरू किया और आज स्थिति यह है कि न केवल आंख की दृष्टि ठीक हो गई, बल्कि उनकी याददाश्त भी अच्छी हो गई।

इनका कहना है

योग की कुछ क्रियाएं ऐसी हैं जिससे आंख की रोशनी वापस आना संभव है। इसके लिए लंबा अभ्यास जरूरी है। साथ ही योग के साथ खानपान व बेहतर आदतें भी शामिल करनी पड़ती हैं।

-डॉ. वीएस वारिया, नेत्र रोग विशेषज्ञ शहडोल

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