सीधी,भास्कर हिंदी न्यूज़/ इस कोरोना महामारी ने कई परिवारों को ऐसी स्थिति में ला दिया है जहां माता-पिता के देखते-देखते उनके बच्चे मौत के आगोश में आ गए। वहीं कई बच्चों के देखते-देखते उनके माता-पिता ही इस महामारी से दुनिया से विदा हो गए और बच्चे अनाथ हो गए।
इतना ही नहीं कोरोना महामारी के डर से अस्पतालों में कई लोगों की ना तो जांच की गई और ना ही उसकी पुष्टि हुई बल्कि उन्हें अन्यत्र ले जाने की सलाह जरूर दी गई। कहीं वाहन के अभाव में व कहीं पैसों के अभाव में कई लोगों की जान भी चली गई, कुछ इसी तरह का वाक्या नगर क्षेत्र मझौली के वार्ड क्रमांक 12 में एक आदिवासी गरीब परिवार में देखा गया। जहां कुसुमकली पति डहरू कोल 46 वर्ष की मृत्यु 15 अप्रैल 2021 को हुई। ठीक 15 दिन बाद उसकी सास बुधनी पति कुमारे की मृत्यु 1 मई को एवं उसके पति डहरू पिता कुमार की मौत 1 जून को हो गई। वहीं कुमारे 85 वर्ष भी गम्भीर रूप से बीमार है। अब परिवार में एक 20 वर्षीया बेटी सीमा व उसका छोटा भाई बचे हैं।
बड़ा भाई अपना परिवार लेकर अलग रहता है और सीमा एवं उसका छोटा भाई अनिल, माता-पिता व दादी साथ रहते थे। तीनों की बीमारी में कोरोना के लक्षण साफ दिख रहे थे और उसी से मौत हुई। सीमा ने बताया कि 14 अप्रैल को मां कुसुमकली की तबीयत ज्यादा खराब होने पर उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मझौली साइकिल से ले गई थी जिसके मुंह से झाग निकल रहा था और सांस लेने में तकलीफ हो रही थी लेकिन मझौली के डॉक्टरों ने बिना दवा उपचार किए दूर से ही देखकर सीधी जाने की सलाह दे दी जबकि जांच तक नहीं की गई। वाहन के अभाव में उस दिन वह अपनी मां को सीधी नहीं ले जा सकी और दूसरे दिन उसकी मृत्यु हो गई। उसके पिता डहरू व दादी बुधनी की भी मृत्यु उसी तरह हुई है। जिनमें वही लक्षण दिख रहे थे। ऐसे में बेसहारा लड़की अपने छोटे भाई के साथ जीवन यापन के लिए संघर्ष कर रही है। पीड़ित परिवार के पास ना तो कोई जमीन जायदाद है और ना ही जीविका का कोई सहारा है सीमा मझौली कालेज में बीए द्वितीय बर्ष की छात्रा भी है। माता-पिता मजदूरी करके जीवन यापन के साथ-साथ उसके पढ़ाई का खर्च भी उठाते थे। अब इन बेसहारा बच्चों के ऊपर माता-पिता का साया नहीं रहा और ना ही आजीविका का कोई सहारा ही है ऐसे में इनके लिए जीवन यापन करना काफी कठिन और संघर्षमय है। अभी तक प्रशासन की तरफ से इन्हें कोई सहायता नहीं दी गई।
प्रधानमंत्री आवास की दूसरी किस्त भी अधर में लटकी
सीमा की माने तो उसकी मां कुसुमकली के नाम पर प्रधानमंत्री आवास मंजूर किया गया था। जिसकी पहली किस्त मिल चुकी थी जिसका आधा-अधूरा निर्माण कार्य कराया गया था लेकिन कुछ पैसा माता-पिता व दादी के दवा कराने में खर्च हो जाने के कारण उसका निर्माण कार्य भी अधूरा है। जिस कारण आवास योजना की दूसरी क़िस्त मिलना भी अब असंभव है।