Bloomberg Corona Report: digi desk/BHN/ कोरोना संकट थमने का नाम नहीं ले रहा है। संक्रमण के लगातार नए-नए स्टैन सामने आ रहे हैं। पूरी दुनिया में वैक्सीनेशन अभियान शुरू हो गया है। दोनों डोज लगने के बावजूद लोग कोविड के चपेट में आ रहे हैं। यहां तक की मौत भी हो रही है। वैज्ञानिकों की टीम दिन-रात इस पर रिसर्च कर रही हैं। कई देश में तीसरी लहर का अलर्ट भी जारी हो गया है। जिसमें बच्चों को सबसे अधिक खतरा रहने की बात सामने आई है। उनको भी लंबे समय तक दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ सकता है। मसलन दिल की तेज धड़कन, याददाश्त में गिरावट, डिप्रेशन और थकान जैसी समस्याओं का महीनों तक सामना करना पड़ सकता है।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में 20 वर्ष से कम उम्र के लोगों में इस तरह के मामले पाए गए हैं। हालांकि ऐसे केसों की संख्या कम है, लेकिन यह भारत के लिए भी चिंता बढ़ाने वाली बात है। यह कहा जा रहा है कि बच्चों पर कोरोना की तीसरी लहर का ज्यादा असर पड़ सकता है। अमेरिका के क्लीवलैंड में ऐसे मामलों के लिए एक हॉस्पिटल भी खोला गया है। यूएस में इस तरह का यह पहला अस्पताल है।
बाइडन प्रशासन में कोरोना मामलों के सलाहकार एंड्रयू स्लेविट ने मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में यह उजागर किया कि उनका एक बेटा छह माह पहले संक्रमित हुआ था। उसे अभी तक सांस लेने में तकलीफ होती है। अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के अनुसार, देश में नए मामलों में लगातार गिरावट हो रही है।
गत अप्रैल में बच्चों और किशोरों में बढ़ते मामले चकित करने वाले थे। शोधकर्ता यह जांच कर रहे हैं कि बच्चों के लिए कोरोना संक्रमण क्या ज्यादा गंभीर हो गया है। ओहियो में यूनिवर्सिटी हास्पिटल की एसोसिएट प्रोफेसर एमी एडवर्ड ने कहा कि बच्चों में इस नजरिये से जांच पर गौर नहीं किया गया। कोरोना के दीर्घकालीन लक्षणों का सामना कर रहे बच्चों को आमतौर पर अस्पताल में दिखाया नहीं जा रहा है। वे घर पर ही जूझ रहे हैं।