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छतरपुर में प्रतिबंध के बाद भी दिल्ली से मजदूरों को ला रहीं बसें

छतरपुर, भास्कर हिंदी न्यूज़/ एक तरफ प्रशासन जिले में सड़क पर निकलने वालों पर डंडे बरसाकर कोरोना कर्फ्यू का पालन कराने का प्रयास कर रहा है वहीं दूसरी ओर परिवहन विभाग जिले में खुलेआम कोरोना फैलाने में लगा हुआ है। जिले में दूसरे राज्यों से आने वाली बसों पर प्रतिबंध है। इसके बाद भी दिल्ली, झांसी से बसें रोजाना आ रही हैं। ये बसें परिवहन विभाग के बैरियर के पास से गुजरती हैं इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होती है। बाहरी बसों के परिवहन प्रतिबंध आदेश का फायदा बस संचालकों को हो रहा है वे यात्रियों से दो से तीन गुना किराया वसूल रहे हैं।

यूपी और दिल्ली से आ रही बसें

जिले में अन्य राज्यों से आने वाली बसों पर पूरी तरह से प्रतिबंध है इसके बाद भी रोजाना एक दर्जन बसें, दिल्ली, आगरा, झांसी और इलाहाबाद से आ रही हैं। इन बसों को छतरपुर तक आने के लिए परिवहन विभाग के बैरियर पार करना होते हैं। दिल्ली, आगरा और झांसी से आने वाली बसें बड़ागांव और इलाहाबाद से आने वाली बसों को कैमाहा का चैकपोस्ट पार करना होता है, लेकिन इन दोनों चेकपोस्ट के 500 मीटर पहले से रास्ते बनाए गए हैं इन रास्तों से ये बसें चेकपोस्ट के किनारे से निकल जाती हैं। ऐसा नहीं है कि इन अवैध रास्तों की जानकारी अतिरिक्त क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी को या चेकपोस्ट प्रभारी को नहीं है। दोनों ही बैरियरों पर काम कर रहे कर्मचारियों ने बताया कि चेकपोस्ट प्रभारी आसपास के ग्रामीणों को अवैध वसूली के लिए लगाए हुए हैं। ये ग्रामीण इन बसों से वसूली करके चेकपोस्ट प्रभारियों को देते हैं और बसें बगैर रोक-टोक के आती-जाती रहती हैं।

यात्रियों से हो रही अवैध वसूली

दिल्ली, आगरा और झांसी से आने वाली यात्री बसों में यात्रियों से जमकर अवैध वसूली हो रही है। शासन द्वारा छतरपुर से आगरा तक का किराया 500 रुपये और दिल्ली तक का 650 रुपये निर्धारित किया है। जबकि यात्रियों से 1200 रुपये वसूल किए जा रहे हैं। शुक्रवार की सुबह झांसी-खजुराहो फोरलेन में दिल्ली बसें बड़ी संख्या में यात्रियों को उतारकर गायब हो गईं।  इन यात्रियों से पूछा गया कि कितना किराया दिया है तो दिल्ली से आए प्रेमचंद, रीता, यशोदा, हरसेवक ने बताया कि उन्हें एक यात्री के 1200 रुपये देना पड़े हैं। इसके बाद भी इन यात्रियों को शहर के बाहर हाइवे पर छोड़ दिया जाता है। छोटे-छोटे बच्चे और सामान लेकर ये यात्री इसके बाद पैदल यात्रा करते हैं। या फिर वे अपने गांव फोन करके टैक्सी बुलवाते हैं। ये ग्रामीण टैक्सी वाले भी इनसे मनमाना किराया वसूल कर रहे हैं।

 

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