सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़। बिजली विभाग की मनमानी से शहर वासियों का जीना मुहाल हो गया है। मेंटिनेंस के नाम घण्टों बिजली बंद रखना आम हो चला है। गत एक हफ्ते से शहर वासी बिजली के आने जाने से परेशान हैं। कोई भी दिन ऐसा नहीं जाता जब किसी न किसी बहाने बिजली आपूर्ति ठप्प कर दी जाती है। कभी ट्रिपिंग की समस्या तो कभी लो वोल्टेज और कभी मेंटिनेंस के बहाने विद्युत आपूर्ति ठप्प हो रही है। मंगलवार की रात को ही मुख्त्यारगंज, बर्दाडीह रेलवे फाटक समेत शहर के कई इलाकों की बिजली बंद रही। विद्युत विभाग के स्थानीय अधिकारी समाचार पत्रों में मेंटिनेंस का हवाला देकर अपना कर्तव्य पूरा कर लेते हैं और इनके कथित कर्तव्य निर्वहन का खामियाजा आम जनता भुगत रही है। मंगलवार की रात से हो रही रिमझिम बारिश ने मेंटिनेंस के दावों की पोल खोल कर रख दी है। इस मामले में स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता भी समझ से परे है। जरा जरा सी बात पर हंगामा करने वाले नेता बिजली विभाग के निरंकुश अफसरों व अलाल कर्मचारियों पर चुप्पी क्यों साधे हुए हैं, किसी को हजम नही हो रहा।
कर्तव्य निर्वहन की सीमा सिर्फ भारी भरकम बिल तक
कोरोना काल मे बिजली बिलों को लेकर फैला रायता 6 महीने बाद भी विभाग के अधिकारी नही समेट पा रहे हैं। बीते छह महीनों से लोगों को अनाप शनाप बिल भेजे जा रहे हैं। जब उपभोक्ता शिकायत लेकर अधिकारियों व कर्मियों के पास जाता है तो उसे ऑनलाइन कम्प्लेन करने की सलाह दी जाती है। इस चक्कर मे आम उपभोक्ता चक्करघिन्नी बन कर रह गया है। एक तरफ भारी भरकम बिलों की मार ऊपर से रोजाना घण्टों बिजली गुल होने की समस्या ने लोगों की नींद हराम कर रखी है।
मेंटिनेंस के धुरे उड़े
मेंटिनेंस के नाम पर पांच- पांच घण्टे विद्युत आपूर्ति ठप्प करना विभाग द्वारा किये जा रहे मेंटीनेंस पर सवाल खड़े कर रहा है। अगर मेंटिनेंस ईमानदारी से किया जा रहा है तो फिर जरा सी बारिश में आपूर्ति ठप्प होना और आये दिन ट्रिपिंग व लो वोल्टेज की समस्या कैसे आ रही है। लोगों का मानना है कि विद्युत विभाग मेंटिनेंस के नाम पर सिर्फ खाना पूर्ति करता है और सारा मेंटिनेंस सिर्फ कागजों में चल रहा है। खबर है कि रोजाना स्थानीय विद्युत विभाग की कारगुजारियों को लेकर हजारों शिकायतें दर्ज होती हैं। बावजूद इसके विद्युत वितरण कम्पनियों के आला अधिकारियों के कान में जूं तक नही रेंगती। लोगों का कहना है कि टोल फ्री नम्बर और शिकायतों के निराकरण के लिए बना कंट्रोल रूम सिर्फ दिखावा है। इनके द्वारा आम उपभोक्ताओं को शिकायत निराकरण के नाम पर सिर्फ लॉलीपॉप दिया जा रहा है।
कभी भी भड़क सकता है जन आक्रोश
बिजली विभाग की मनमानियों से उपभोक्ता खासे नाराज हैं। भारी भरकम बिजली बिलों और बिजली की आवाजाही से त्रस्त लोग कभी भी सड़क पर उतर सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो यह यहां के जनप्रतिनिधियों के लिए डूब मरने जैसी बात होगी..! क्योंकि जनता जब इन्हें चुनती है, वोट देती है तो यह उम्मीद भी रखती है कि आम जन की समस्याओं के प्रति जनप्रतिनिधि गंभीर हों और उनके निराकरण में अग्रणी भूमिका निभाएं, पर यहां सब कुछ उल्टा- पुल्टा है, शायद इसलिए विद्युत विभाग के अफसर और कर्मचारी निरंकुश हो चले हैं।