सतना : 17 अक्टूबर से नवरात्र पर्व प्रारंभ हो रहे हैं। शासन द्वारा नवरात्र में माता के पंडाल लगाकर आंशिक रूप से सामूहिक पूजा करने की अनुमति देने के बाद माता की मूर्तियों के निर्माण में तेजी आई है। शहर के वेंकटेश मंदिर, स्वामी चौक, कृष्णनगर, गौशाला चौक समेट कई स्थानों पर कारीगरों ने माता की मूर्तियों को गढ़ना प्रारंभ कर दिया है। इस साल सभी स्थानों पर मिट्टी व घास से ही माता की मूर्तियों का निर्माण किया जा रहा है। प्रदेश शासन द्वारा कोरोना महामारी के बीच माता के नवरात्रों में पंडाल लगाने की अनुमति दे दी है। माता पंडाल लगाने की अनुमति मिलने से जहां माता के भक्त प्रसन्न् हैं वहीं मूर्तिकारों में भी प्रसन्नता हैं, क्योंकि गणेश महोत्सव के दौरान अनुमति नहीं मिलने से वे अपना कारोबार नहीं कर पाए थे। इस कारण उन्हें काफी घाटा सहना पड़ा था। शासन की अनुमति मिलने के बाद ही भक्तों ने मूर्तिकारों को आर्डर देना प्रारंभ कर दिया है।
6 फीट की मूर्ति में मेहनत ज्यादा फायदा कम
मूर्तिकार राकेश नागवंशी ने बताया कि शासन द्वारा अनुमति मिलने से काफी प्रसन्न्ता है। क्योंकि साल में दो ही अवसर मिलते हैं मूर्ति निर्माण के। पहला गणेश महोत्सव दूसरा नवरात्र । गणेश महोत्सव पूरी तरह से फीका गया जबकि अब माता की मूर्तियों के निर्माण की अनुमति मिली है, इससे कुछ उम्मीद है। हालांकि 6 फीट की मूर्ति में मेहनत व लागत ज्यादा है। जबकि कमाई कम है, क्योंकि 6 फीट की मूर्ति के भक्त ज्यादा से ज्यादा 6000 से 8000 रुपये तक ही देंगे जबकि 9 से 10 फीट की मूर्ति के भक्त आसानी से 20000 से 25000 रुपये दे देते थे। मूर्ति बनाने में समय का भी थोड़ा सा ही अंतर आता है।
कोरोना के चलते शासन ने यह बनाएं हैं ये नियम
देश में कोरोना महामारी अपने चरम पर है। ऐसे में भक्त माता की आराधना कर सकें और कोरोना से भी बचे रहें, इसके लिए शासन ने नियमावली तैयार की है। इस नियमावली का पालन करते ही भक्तों की माता की आराधना करनी होगी। इसके अनुसार पंडाल में माता की सिर्फ 6 फीट तक ही मूर्ति ही विराजमान कर सकेंगे। इसके साथ ही पंडाल का साइज भी दस गुना दस ही रहेगा, जिससे उसमें अधिक लोग एकत्रित नहीं हो सकें और सिर्फ पुजारी व एक दो लोग ही अंदर प्रवेश कर सकें। एक स्थान पर 100 से अधिक लोगों को एकत्रित होने की अनुमति रहेगी। वहीं माता की मूर्तियों के विसर्जन में भी भीड़ एवं जुलूस आदि नहीं निकाल सकेंगे।