उमरिया, भास्कर हिंदी न्यूज़/ ऐसे कितने लोग हैं जो अपने को जिंदा तो मानते हैं, मगर वह कागजों में भगवान को प्यारे हो चुके हैं। हर सरकारी योजनाओं के लिए दर-दर भटकना और अपने को जिंदा होने का सबूत देने के बाद भी उनकी किस्मत में केवल हताशा और परेशानी ही लिखी हुई है। ऐसा ही एक मामला उमरिया से सामने आया है। जहां 11 वर्षों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट थक हार चुके 70 वर्षीय आदिवासी ने मीडिया को अपनी आपबीती बताई और बताया कि मैं किस प्रकार से सिस्टम का दंश झेल रहा हूं।
यह है मामला
दरअसल, उमरिया जिले के मानपुर जनपद अंतर्गत ग्राम मुगवानी का है, जहां 11 वर्ष से एक 70 वर्षीय वृद्ध पीड़ित रामकिशोर कोल ने अपने को जिंदा साबित करने सरकारी सिस्टम की चौखट चाट रहा है। बावजूद इसके उसे जिंदा करने या बताने वाला कोई नहीं है। आस पड़ोस के लोग भी बेहद परेशान हैं कि यह आदमी रामकिशोर कोल तो जिंदा है मगर सरकारी कागज इसे मरा बता रहे हैं।
पंचायत के जिम्मेदारों ने समग्र पोर्टल में ही उसको मृत घोषित कर दिया। इस कारण से उसे राशन व अन्य योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। अपने ऊपर हो रहे अन्याय को लेकर पीड़ित ने खुद आपबीती मीडिया को सुनाई। वहीं वृद्ध के भाई ने पूरा घटनाक्रम बताया और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग जिला प्रशासन से की है। अब जब मामला खुलकर सामने आया तो भाजपाई भी इस निंदनीय कृत को गलत बता रहे हैं। भाजपा समर्पित जिला पंचायत अध्यक्ष ने जिम्मेदारों पर सवाल खड़ा करते हुए कार्रवाई की मांग की है, वहीं उन्होंने कहा है कि यह हमारी और प्रशासन की कमी का नतीजा है। वहीं इस मामले में कलेक्टर उमरिया ने कहा कि अगर जिंदा व्यक्ति को कागजों में मारा गया है, तो जांच कर दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जायेगी।