Monday , October 7 2024
Breaking News

Holashtak: इसलिए होलाष्‍टक में नहीं होते शुभ कार्य, पढ़ें क्‍या है मान्‍यता

Holashtak 2021:digi desk/BHN/ रंगों का पर्व होली, फाल्‍गुन के इस पर्व का हर किसी को इंतजार रहता है। पर्व पर परंपरानुसार होलिका का दहन कर भक्‍त प्रहलाद को बचाया जाता है। इसी खुशी में होली का पर्व धूमधाम से मनाने की प्रथा है। खास बात यह है कि इस पर्व में होलाष्‍टक का विशेष ध्‍यान रखा जाता है जो फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से प्रारंभ होता है और होलिका दहन तक चलता है। होलाष्टक में शुभ कार्यों के करने पर पाबंदी होती है। होलाष्टक के शाब्दिक अर्थ पर जाएं तो होला+अष्टक अर्थात होली से पूर्व के जो आठ दिन होता है, वह होलाष्टक कहलाता है। सामान्य रूप से देखा जाए तो होली एक दिन का पर्व न होकर पूरे नौ दिन का उत्सव है।

मान्‍यताओं का रखा जाता है ध्‍यान

 होलाष्टक के दिन होलिका दहन के लिए 2 डंडे स्थापित किए जाते हैं। जिनमें एक को होलिका तथा दूसरे को प्रह्लाद माना जाता है। शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार जिस क्षेत्र में होलिका दहन के लिए डंडा स्थापित हो जाता है, उस क्षेत्र में होलिका दहन तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता।

क्यों होते हैं ये दिन अशुभ 

ज्योतिष के अनुसार होलाष्टक के प्रथम दिन अर्थात फाल्गुन शुक्लपक्ष की अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल तथा पूर्णिमा को राहु का उग्र रूप रहता है। इस वजह से इन आठों दिन मानव मस्तिष्क तमाम विकारों, शंकाओं और दुविधाओं आदि से घिरा रहता है, जिसकी वजह से शुरू किए गए कार्य के बनने के बजाए बिगड़ने की संभावना ज्यादा रहती है। चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को इन आठों ग्रहों की नकारात्मक शक्तियों के कमजोर होने की खुशी में लोग अबीर-गुलाल आदि छिड़ककर खुशियां मनाते हैं। जिसे होली कहते हैं।

होलाष्टक के दौरान ना करें ये काम  

ज्‍योतिषाचार्य पंडित सौरभ दुबे बताते हैं कि होलाष्टक में 8 दिन तक मांगलिक कार्यों की मनाही होती है। इस दौरान शादी-विवाह, भूमि पूजन, गृह प्रवेश, मांगलिक कार्य, नया व्यवसाय या नया काम शुरू करने से बचना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, होलाष्टक शुरू होने के साथ ही 16 संस्कार जैसे नामकरण संस्कार, जनेऊ संस्कार, गृह प्रवेश, विवाह संस्कार जैसे शुभ कार्यों पर भी रोक लग जाती है। किसी भी प्रकार का हवन, यज्ञ कर्म भी इन दिनों में नहीं किया जाता है। इसके अलावा नव विवाहिताओं को इन दिनों में मायके में रहने की सलाह दी जाती है।

भजन-पूजन से मिलता है शुभ फल 

होलाष्टक में पूजा-पाठ करने और भगवान का स्मरण भजन करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि होलाष्टक में कुछ विशेष उपाय करने से कई प्रकार के लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। होलाष्टक के दौरान श्रीसूक्त व मंगल ऋण मोचन स्त्रोत का पाठ करना चाहिए जिससे आर्थिक संकट समाप्त होकर कर्ज मुक्ति मिलती है। इस दौरान भगवान नृसिंह और हनुमानजी की पूजा का भी महत्व है।

About rishi pandit

Check Also

शारदीय नवरात्रि 2024: चौथे दिन माँ कुश्मांडा पूजा विधि, भोग और मंत्र

शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा शुरू …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *