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M.P: कान्हा टाइगर रिजर्व में बाड़ा खाली, अब बाघिन ‘सुंदरी’ को लाने की तैयारी

M.P kanha tiger reserve:digi desk/BHN/  ढाई साल से ओड़िशा के सतकोशिया टाइगर रिजर्व के एक बाड़े में कैदियों का जीवन गुजार रही बाघिन ‘सुंदरी” इसी महीने मध्य प्रदेश लौट रही है। बाघिन को रखने के लिए कान्हा टाइगर रिजर्व के घोरेला क्षेत्र में बाड़ा खाली करा लिया गया है। फिलहाल बाड़े की मरम्मत की जा रही है। इसके पूरा होते ही विशेषज्ञों का दल सुंदरी को लेने ओड़िशा जाएगा। सुंदरी वही बाघिन है, जिसे केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की मांग पर वर्ष 2018 में सतकोशिया भेजा गया था और छह महीने बाद ही उसे बाड़े में कैद कर दिया गया। पिछले साल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बाघिन की स्थिति पर दुख जताते हुए ओड़िशा के मुख्यमंत्री से विशेष देखरेख करने का अनुरोध किया था।

बाघिन की अपनी कहानी है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पैदा हुई सुंदरी का केंद्रीय मंत्री की मांग पर अचानक सतकोशिया भेजने के लिए चयन हो गया। 29 जून 2018 को सुंदरी और हफ्तेभर बाद कान्हा टाइगर रिजर्व से बाघ महावीर को सतकोशिया रवाना कर दिया गया। इससे पहले प्रदेश के तत्कालीन वरिष्ठ वन अधिकारी ओड़िशा गए और सतकोशिया में बाघ-बाघिन के लिए खाने-पीने की पूरी व्यवस्था देखकर आ चुके थे। उनके साथ राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के अधिकारी भी थे, पर कोई भी अधिकारी सतकोशिया की स्थिति नहीं भांप सका।

आखिर बाघ महावीर को नवंबर 2018 में जहर देकर मार दिया और बाघिन को चार लोगों पर हमला करने के जुर्म में बाड़े में कैद कर दिया गया। तब से बाघिन छोटे से बाड़े में जीवन बिता रही है। दिसंबर 2020 में जब मीडिया ने इस मामले को उछाला, तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को पत्र लिखकर न सिर्फ अपने दुख का इजहार किया है, बल्कि कान्हा टाइगर रिजर्व में बाघिन को रखने का इंतजाम होने तक सतकोशिया टाइगर रिजर्व में ही उसकी बेहतर देखरेख करने का अनुरोध किया है।

जानकारों की भी नहीं सुनी

केंद्रीय मंत्री का प्रस्ताव था, तो राज्य सरकार भी किसकी सुनने वाली थी और यही कारण रहा कि वन अधिकारियों ने आनन-फानन में बाघ और बाघिन को भेजने का निर्णय ले लिया। जबकि वन्यजीवों के जानकार और आरटीआई कार्यकर्ता अजय दुबे ने इस मामले में सरकार और वन अधिकारियों को पहले ही आगाह किया था। दुबे ने ज्ञापन सौंपकर कहा था कि सतकोशिया में दोनों सुरक्षित नहीं रहेंगे। फिर भी किसी ने नहीं सुनी। ज्ञात हो सतकोशिया टाइगर रिजर्व शिकार के लिए कुख्यात है। इसी वजह से पार्क वर्ष 2007 में बाघ विहीन हो चुका है।

बाघिन के चयन में भी गलती

सतकोशिया भेजते समय बाघिन के चयन में भी वन अधिकारियों से गलती हुई है। सुंदरी नौ-सीखिया थी। वह पूरी तरह से शिकार के गुर नहीं सीख पाई थी। ऐसे में उसे न सिर्फ नई जगह भेज दिया बल्कि वहां खाने का भी संकट था। इसलिए बाघिन बस्ती के नजदीक पहुंच गई और चार लोगों पर हमला कर दिया जिसमें से दो की मौत भी हो गई।

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