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Satna: मलेरिया की जांच एवं दवाईयां सभी शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं में निःशुल्क

मलेरिया बीमारी मादा एनाफिलीज़ मच्छर के काटने से होती है



सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ मौसम में बदलाव से मच्छरजनित बीमारियों से बचाव के लिए जिले में निरंतर जन-जागरूगता कार्य किया जा रहा है। मच्छरजनित बीमारियों में मलेरिया सबसे प्रचलित बीमारी है। यह बीमारी मादा एनाफिलीज़ मच्छर के काटने से होती है। ठंड लगकर बुखार आना मलेरिया का प्रमुख लक्षण हैं। मलेरिया की जांच एवं दवाईयां सभी शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं में निःशुल्क प्रदान की जाती है।
मलेरिया के इलाज के लिए प्रमाणिक एवं सुरक्षित दवाएं उपलब्ध हैं। मच्छरों से होने वाली बीमारी डेंगू की पहचान सही समय पर ना किये जाने पर घातक रूप ले सकती है। यह बीमारी एडीज मच्छर के काटने से फेलती है। जब कोई एडीज मच्छर डेंगू के किसी रोगी को काटता है तो वह उस रोगी का खून चूसता है। खून के साथ डेंगू वायरस भी मच्छर के शरीर में प्रवेश कर जाता है।
मच्छर के शरीर में डेंगू वायरस का कुछ और दिनों तक विकास होता है। जब डेंगू वायरस युक्त मच्छर किसी अन्य स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वह डेंगू वायरस को उस व्यक्ति के शरीर में पहुँचा देता है । इस प्रकार वह व्यक्ति डेंगू वायरस से संक्रमित हो जाता है तथा कुछ दिनों के बाद उसमें डेंगू बुखार रोग के लक्षण प्रकट हो सकते हैं। जिस दिन डेंगू वायरस से संक्रमित कोई मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है तो उसके लगभग 3-5 दिनों बाद ऐसे व्यक्ति में डेंगू बुखार के लक्षण प्रकट हो सकते हैं। यह संक्रामक काल 3-10 दिनों तक भी हो सकता है।
मौसम में बदलाव से बीमारियों के लिए खतरा बनता है, जिनमें मच्छरों से होने वाली बीमारियां प्रमुख हैं। बारिश के मौसम में पानी के जमा होने एवं गंदगी होने के कारण मच्छरों का पनपना आसान होता है। मच्छरों के काटने से डेंगू, मलेरिया, चिकिनगुनिया जैसी बीमारियां होती हैं जो कि कई बार गंभीर भी हो सकती हैं। जिसके अंतर्गत डेंगू, चिकिनगुनिया, मलेरिया जैसी संक्रमण बीमारियों से बचाव के उपाय बताए जाएंगे। डेंगू बुखार के लक्षण इस बात पर निर्भर करेंगे कि डेंगू बुखार किस प्रकार का है। डेंगू बुखार तीन प्रकार के होते हैं।
साधारण डेंगू बुखार, डेंगू हेनरेजिक बुखार, डेंगू शॉक सिन्ड्रोम, यदि डेंगू हेमरेजिक बुखार, डेंगू शॉक सिन्ड्रोम का तुरन्त उपचार शुरू नहीं किया जाता है तो वे जानलेवा सिद्ध हो सकते हैं। चिकिनगुनिया भी एडिज मच्छर से होने वाली बीमारी है। मच्छर को पनपने से रोकना एवं मच्छरों से स्वयं को बचाना इन बीमारियों से बचने का सबसे आसान उपाय है। पानी के भराव को रोकना, आसपास के परिवेश में स्वच्छता का निर्माण, मच्छरदानी का उपयोग इत्यादि बेहद सरल उपाय हैं जो कि मच्छरों से एवं उनसे होने वाली बीमारियों से बचाव कर सकता है।

11.85 लाख पीवीटीजी आबादी में से 11.74 लाख से अधिक के आधार कार्ड बने
10.30 लाख से अधिक जाति प्रमाण-पत्र भी बनाये गये

प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम जन-मन) योजना में विशेष पिछड़ी जनजाति समूहों (पीवीटीजी) के तीव्र विकास के लिये विशेष प्रयास तेजी से किये जा रहे हैं। इन पीवीटीजी परिवारों को केन्द्र व राज्य सरकार की सभी हितग्राहीमूलक व विकासमूलक योजनाओं एवं स्वास्थ्य कार्यक्रमों का सीधा लाभ देकर इनके स्थायी रोजगार की व्यवस्था भी की जा रही है।
प्रदेश में विशेष पिछड़ी जनजातियों (बैगा, भारिया एवं सहरिया) की लगभग 11 लाख 85 हजार 374 आबादी निवास करती है। इस आबादी में सभी के आधार कार्ड, राशन कार्ड, आयुष्मान भारत कार्ड, किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) बनाने के साथ-साथ सबके जन-धन बैंक खाते भी खोले जा रहे हैं। साथ ही इन सभी के जाति प्रमाण-पत्र बनाने के अलावा इस जनजाति समूह के पात्र किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का लाभ भी दिया जा रहा है।
राज्य सरकार द्वारा इस संबंध में समीक्षा की गई। जिसमें पाया गया कि जून 2024 तक लक्षित आबादी के 11 लाख 74 हजार 648 व्यक्यिं के आधार कार्ड, 10 लाख 30 हजार 190 व्यक्तियों के जाति प्रमाण-पत्र, 6 लाख 25 हजार 999 आयुष्मान भारत कार्ड, 5 लाख 46 हजार 484 व्यक्तियों के जन-धन बैंक खाते एवं 2 लाख 97 हजार 421 राशन कार्ड भी बना दिये गये हैं। इसके अतिरिक्त लक्षित समूह के 86 हजार 665 किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का लाभ देकर 64 हजार 100 किसानों के किसान क्रेडिट कार्ड भी बना दिये गये हैं। योजना के क्रियान्वयन में भागीदारी करते हुए नोडल विभाग (जनजातीय कार्य) द्वारा पीवीटीजी बाहुल्य 19 जिलों में करीब 147.65 लाख रूपये की लागत से 198 जन-धन विकास केन्द्रों (वीडीवीकेएस) की स्थापना की जायेगी। इसके अलावा 17 जिलों में लगभग 7500 लाख रूपये व्यय कर 284 बहुउद्देशीय केन्द्रों (एमपीसीएस) की स्थापना भी जनजातीय कार्य विभाग द्वारा ही की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि पीएम जन-मन के अन्तर्गत मध्यप्रदेश के चिन्हित 24 जिलों में निवासरत बैगा, भारिया एवं सहरिया विशेष पिछड़ी जनजाति वर्ग की 11 लाख 85 हजार 374 आबादी को विभिन्न प्रकार की सहायता व रोजगारोन्मुखी कौशल प्रशिक्षण देकर इन्हें विकास की नई राह से जोड़ने का कार्य किया जा रहा है। भारत सरकार के 9 मंत्रालयों की 11 चिन्हित अधोसंरचना एवं विकासमूलक गतिविधियों एवं 7 हितग्राहीमूलक योजनाओं के घर पहुंच लाभ प्रदाय पर केन्द्रित इस महा अभियान के तहत मध्यप्रदेश में करीब 7 हजार 300 करोड़ रूपये व्यय कर इन 3 विशेष पिछड़ी जनजातियों के समग्र कल्याण के लिये ठोस प्रयास तेजी से किये जा रहे हैं। मध्यप्रदेश के 11 जिलों डिंडोरी, मंडला, बालाघाट, उमरिया, अनूपपुर, शहडोल, जबलपुर, कटनी, मैहर, सीधी एवं सिंगरौली में 2 हजार 569 ग्रामों एवं बसाहटों में करीब 4 लाख 53 हजार 320 बैगा, 10 जिलों श्योपुर, शिवपुरी, ग्वालियर, गुना, मुरैना, दतिया, अशोकनगर, विदिशा, रायसेन एवं भिण्ड में 2 हजार 617 ग्रामों एवं बसाहटों में 6 लाख 86 हजार 986 सहरिया तथा 3 जिलों छिंदवाड़ा, नरसिंहपुर एवं सिवनी में 315 ग्रामों एवं बसाहटों में 45 हजार 68 भारिया जनजातीय बंधु निवास करते हैं। योजना के तहत इन सभी को आधुनिक विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के प्रयास किये जा रहे हैं।

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