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MP: युगपुरुष धाम आश्रम में 6 नहीं, 10 बच्चों की हुई मौत, फिर भी दर्ज नहीं होगी FIR

  1. बच्चों की मौतों की जानकारी छिपाने के मामला
  2. अध्यक्ष, सचिव और संचालिका को हटाया गया
  3. 4 बच्चों के शव गुपचुप को सौंप दबाया मामला

Madhya pradesh indore indore news not 6 but 10 children died in yugpurush dham ashram yet fir will not be registered: digi desk/BHN/इंदौर/पंचकुईयां स्थित युगपुरुष धाम आश्रम में छह नहीं 10 बच्चों की मौत हुई थी। संचालकों ने बच्चों की मौत की जानकारी छुपाई और गुपचुप तरीके से परिजनों को शव सौप दिए। इन बच्चों का पीएम भी नहीं कराया गया। उच्च स्तरीय जांच समिति की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ।

रिपोर्ट के बाद कलेक्टर अशीष सिंह ने आश्रम के अध्यक्ष, सचिव और संचालिका को हटा दिया। संचालकों की लापरवाही की वजह से 10 बच्चों ने असमय अपनी जान गवा दी, फिर भी संचालकों पर एफआइआर दर्ज नहीं होगी।

युगपुरुष धाम आश्रम में 28 जून से ही बच्चों की तबीयत खराब होने लगी थी। वही 29 से 30 जून के बीच बीमारी के कारण हुई मौतों की जानकारी को भी प्रबंधन ने छुपाया। यदि समय रहते जानकारी विभाग को उपलब्ध करा दी जाती, तो बच्चों को पहले ही अस्पताल पहुंचा दिया जाता और असमय अपनी जान नहीं गवाना पड़ती।

मामला सामने आने के बाद प्रशासन ने बच्चों हो चाचा नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया। इसके बाद उच्च स्तरीय जांच समिति ने जांच की थी। इसमें रिकार्ड खंगालने पर प्रबंधन ने 30 जून को एक मौत होने की बात कही थी, जबकि दो दिन में पांच बच्चों अंकित, मयंक, शुभम, अनमोल और यूनिस की मौत हुई थी। एक और दो जुलाई के बीच 4 मौते हुई थी। सोमवार को कलेक्टर ने विभाग को आदेश देकर आश्रम की संचालिका अनिता शर्मा, अध्यक्ष जान्हवी ठाकुर और सचिव तुलसी शादीजा को पद से हटा दिया।

वॉटसएप चेट और वीडियाे से हुआ खुलासा

आश्रम में छह नहीं 10 बच्चों की मौत का खुलासा जांच समिति की रिपोर्ट में हुआ है। जांच टीम ने आश्रम के वाट्सएप ग्रुप की चेटिंग और वीडियों से इसकी जानकारी निकाली। इसके बाद आश्रम के सीसीटीवी कैमरों का पुराना रिकार्ड भी वेकअप में लिया गया। इसमें भी बच्चों को आश्रम से बाहर परिजनों को सौपने के सबूत मिले। इसकी पुष्टी कर्मचारियों के बयान से करने के अलावा जांच टीम ने परिजनों से वीडियो काल कर पुख्ता की।

आश्रम के रजिस्टर्ड में 300 बचे दर्ज

जांच समिति ने बच्चों से जुड़े आश्रम के रजिस्टर्ड और अन्य रिकार्ड भी जब्त किए थे। आश्रम के रजिस्टर्ड में 300 बच्चों का नाम दर्ज था। जबकि आश्रम में 200 बच्चे ही प्रशासन को मिले थे। जांच दल को आश्रम प्रबंधन ने अन्य बच्चों को डब्ल्यूसी के निर्देश पर अन्य जिलों और अन्य संस्था में स्थानांतरित करने के दस्तावेज दिखाए। कुछ बच्चों को परिजन लेकर जाने की बात भी कही गई।हालाकि इसकी जांच प्रशासन ने नहीं कराई, जिससे बच्चों को अन्य स्थानों पर स्थानांतरित करने की स्थिति स्पष्ट हो सके।

प्रशासन मान रहा लापरवाही, आश्रम ने बताया आपदा

प्रशासन के बच्चों की मौत की जानकारी छिपाने और लापरवाही को लेकिन आश्रम प्रबंधन को नोटिस जारी किया था। इसमें एएफआइआर दर्ज करने तक की बात कही थी। जबकि नोटिस का जवाब देते हुए आश्रम प्रबंधन ने इसको आपदा माना था।प्रबंधन ने जवाब में डायरिया और डिहाइड्रेशन के कारण अचानक आपदा से मौत होने की बात कही की।

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