- 25 हजार करोड़ के एमपी बिरला समूह के साम्राज्य पर बड़ा फैसला
- विंध्य में हैं बिरला ग्रुप की 4 कंपनियां
सतना भास्कर हिंदी न्यूज़। पूरे विश्व मे सतना को सीमेंट हब की पहचाने दिलाने में अग्रणी भूमिका निभाने वाली सतना सीमेंट ( scw) समेत यूनिवर्सल केबिल्स लिमिटेड( ucl) और विंध्या टेलीलिंक्स (vtl) जैसी कंपनियों के स्वामित्व वाले एमपी बिरला ग्रुप ( mp birla) के सम्पत्ति विवाद में एक और नया मोड़ आ गया है। एमपी बिरला ग्रुप की मालकिन रहीं श्रीमती प्रियंवदा बिरला के निधन के बाद बिरला समूह के साम्राज्य पर काबिज हुए उनके चार्टर्ड एकाउंटेंट रहे आरएस लोढ़ा के बेटे हर्षवर्धन लोढ़ा को तगड़ा झटका देते हुए कोलकाता हाईकोर्ट ने सभी कंपनियों से बेदखल करने का आदेश जारी किया है।
कोलकाता हाईकोर्ट ने एमपी बिरला समूह के साम्राज्य को लेकर बीते 16 वर्षो से चल रहे कानूनी विवाद में बड़ा फैसला सुनाते हुए हर्षवर्धन लोढ़ा के समूह की किसी भी कंपनी में कोई भी पद संभालने पर रोक लगा दी है। साथ ही एमपी बिरला ग्रुप और बिरला कॉर्पोरेशन की सभी कंपनियों के सभी पदों से लोढ़ा को हटाने का आदेश भी कोर्ट ने दिया है। अदालत ने स्व. श्रीमती प्रियम्वदा बिरला की सम्पत्ति से लोढ़ा के किसी भी तरह के निजी लाभ उठाने पर भी रोक लगा दी है। इस सम्पत्ति के प्रबंधन के लिए कोर्ट ने एक समिति गठित की है और लोढ़ा को इस समिति के निर्णय में किसी भी तरह का हस्तक्षेप न करने की हिदायत भी दी है। कोलकाता हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद हर्षवर्धन लोढ़ा को बिरला कॉर्प के चेयरमैन और एमपी बिरला ग्रुप की सभी कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में डायरेक्टर का पद छोड़ना होगा।
सतना–रीवा में हैं 4 फैक्ट्रियां
एमपी बिरला समूह को लेकर कोलकाता हाईकोर्ट द्वारा दिये गए फैसले का असर सतना – रीवा पर भी पड़ेगा। सतना में बिरला समूह की सतना सीमेंट वर्क्स (scw) और यूनिवर्सल केबिल्स लिमिटेड (ucl) पहले से ही हैं तो मैहर के भरौली स्थित रिलायंस सीमेंट प्लांट को भी इस ग्रुप ने टेक ओवर किया था। रीवा में इस ग्रुप की एक कंपनी विंध्य टेली लिंक्स लिमिटेड (vtl) है। अभी तक इन चारों कंपनियों का नियंत्रण लोढ़ा परिवार ही संभालता रहा है। गौरतलब है कि लोढ़ा परिवार का दावा रहा है कि 25 हजार करोड़ के मालिकाना हक वाले बिरला समूह के सम्बंध में स्व प्रियम्वदा बिरला ने वसीयत अपने चार्टर्ड एकाउंटेंट आरएस लोढ़ा और उनके बेटे हर्षवर्धन लोढ़ा के नाम कर दी थी।
एपीएल समिति लगातार कर रही है विरोध
देश के नामी औद्योगिक घरानों में शुमार बिरला ग्रुप के साम्राज्य को लेकर चल रहे इस विवाद में लोढ़ा का विरोध बिरला परिवार तो कर ही रहा है बिरला समूह की परिसंपत्तियों के प्रबंधन एवं प्रशासन के लिए हाईकोर्ट द्वारा वर्ष 2012 में गठित एपीएल समिति भी खिलाफत कर रही है। समिति ने बिरला समूह की कंपनियों में लोढ़ा की दोबारा नियुक्ति का भी विरोध किया था। उसने जुलाई 2019 में विंध्य टेलीलिंक्स और बिरला केबिल्स के निदेशक मंडल से लोढ़ा को हटाने का फैसला बहुमत से किया था। लेकिन मई में कोलकाता हाइकोर्ट ने लोढ़ा की नियुक्ति को दोबारा मंजूरी दे दी थी। कोलकाता हाईकोर्ट के इस फैसले से लोढ़ा परिवार को करारा झटका लगा है। हालांकि परिवार के सूत्रों का कहना है कि वे इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे