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Bhojshala Survey: भोजशाला को जैन मंदिर बताने वाली याचिका खारिज, हाईकोर्ट ने बताई ये वजह

  1. कोर्ट ने कहा, तय प्रारूप में नहीं है, सुनवाई नहीं कर सकते
  2. याचिकाकर्ता से कहा- चाहें तो निर्धारित प्रारूप में करें दायर
  3. याचिका प्रस्तुत करने में हुई देरी की वजह भी स्पष्ट नहीं थी

Madhya pradesh dhar dhar bhojshala survey petition declaring bhojshala a jain temple rejected: digi desk/BHN/इंदौर/ धार भोजशाला को जैन मंदिर बताने वाली याचिका शुक्रवार को हाई कोर्ट ने खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा यह याचिका निर्धारित प्रारूप में नहीं है। ऐसे में इस पर आगे सुनवाई नहीं की जा सकती। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से यह जरूर कहा है कि वे चाहें तो निर्धारित प्रारूप में दोबारा याचिका प्रस्तुत कर सकते हैं।

दिल्ली के सलेक चंद जैन की याचिका
मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ के समक्ष यह याचिका नई दिल्ली निवासी सलेक चंद जैन ने दायर की थी। शुक्रवार को न्यायमूर्ति प्रणय वर्मा की एकलपीठ के समक्ष इसमें सुनवाई हुई। लगभग 2 मिनट चली सुनवाई में कोर्ट ने याचिका देखने के बाद कहा कि यह निर्धारित प्रारूप में नहीं है। इसमें याचिका प्रस्तुत करने में हुई देरी की वजह भी स्पष्ट नहीं है।

निर्धारित प्रारूप में नहीं थी याचिका
ऐसी स्थिति में याचिका पर आगे सुनवाई नहीं की जा सकती। याचिकाकर्ता चाहें तो निर्धारित प्रारूप में नई याचिका दायर कर सकते हैं। उसमें उन्हें यह भी बताना होगा कि याचिका प्रस्तुत करने में देरी क्यों हुई है। यह कहा है याचिका में सलेक चंद जैन की ओर से प्रस्तुत इस याचिका में दावा किया गया था कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा धार भोजशाला के किए गए सर्वे में जैन तीर्थंकर और देवी-देवताओं की मूर्तियां मिली हैं।

इस बात के प्रमाण भी मिले हैं कि भोजशाला स्थल पर जैन गुरुकुल और मंदिर था। याचिका में भोजशाला में खुदाई में मिली जैन तीर्थंकर और देवी-देवताओं की मूर्तियों को जैन समाज को सौंपने की मांग भी की गई थी।

अब मांडू में तैयार की जा रही रिपोर्ट

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने भोजशाला का सर्वे कार्य पूरा कर लिया गया है। सर्वे रिपोर्ट तैयार करने के लिए मांडू में काम किया जा रहा है। मांडू में एएसआई का अपना कार्यालय है, जबकि बाहर से आए विशेषज्ञ लौट गए हैं। 10 दिन का समय मिल जाने से रिपोर्ट बनाने का कार्य व्यापक स्तर पर अब मांडू में होगा। समानांतर रूप से दिल्ली और भोपाल में भी यह कार्य किया जाएगा।

भोजशाला में सर्वे के पहले से हो रहा सुंदरीकरण का कार्य चलता रहेगा। मालूम हो कि 22 मार्च से सर्वे कार्य शुरू हुआ था और यह 27 जून यानी 98 दिन तक सतत चला। इसमें 1700 पुरावशेष मिले हैं। इनमें से 39 मूर्तियां शामिल हैं।

सर्वे रिपोर्ट को तैयार किए जाने कार्य तेजी से किया जा रहा है। दरअसल, एएसआई ने इस रिपोर्ट के लिए चार सप्ताह का अतिरिक्त समय मांगा था, जबकि कोर्ट ने केवल 10 दिन का ही समय दिया। इसमें से एक दिन बीत गया है। इस तरह से अब नौ दिन में कार्य पूरा करना होगा।

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