छतरपुर/खजुराहो, भास्कर हिंदी न्यूज़/ विश्व विख्यात खजुराहो में इन दिनों उत्सवी माहौल है। यहां दिन में आदिवासी लोक कला और बोली अकादमी मप्र द्वारा लोकरंजन के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। रात में यहां खजुराहो नृत्य महोत्सव चल रहा है। गुरुवार को दिन में बुंदेली लोक कलाकारों ने लोकरंजन के माध्यम से अपनी प्रस्तुतियां देकर पर्यटकों व स्थानीय लोगों का खूब मनोरंजन किया। शाम सात बजे से कंदारिया महादेव मंदिर प्रांगण में नृत्य महोत्सव के तहत चार शानदार प्रस्तुतियां हुईं।
मप्र आदिवासी लोक कला एवं बोली अकादमी, मप्र संस्कृति परिषद भोपाल द्वारा सात दिवसीय लोकरंजन का कार्यक्रम प्रस्तुत किया जा रहा है, जिसमें बुंदेली लोरी से बुंदेलखंड का लोकजीवन जीवंत हो उठा। इस कार्यक्रम से लोक गायन, लोक नृत्य व लोक मंचन को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है। गुरुवार को पश्चिमी मंदिर समूह के सामने संगीताचार्य पं. जयराम त्रिवेदी की शिष्याओं ने बुंदेली लोकगीत के साथ बुंदेली लोरी सोजा-सोजा बारे वीर प्रस्तुत की। यह लोरी बुंदेलखंड के गांवों में माताएं अपने बच्चों को सुलाने के लिए गाई जाती हैं। पं. जयराम त्रिवेदी की शिष्याओं ने जैसे ही यह लोरी सुनाई तो ठेठ बुंदेली लोकजीवन उभरकर सामने आया। प्रसिद्ध बुंदेली कलाकार हिमालय यादव व उनके साथियों ने शिव विवाह का मंचन किया। कार्यक्रम का संचालन राजेन्द्र सिंह सेंगर ने किया।
मैत्रेयी पहाड़ी व साथियों ने प्रस्तुत किया कथक
गुरुवार की शाम खजुराहो नृत्य महोत्सव में चार शानदार प्रस्तुतियां हुईं। यहां मां जगदंबा व भगवान कंदारिया महादेव मंदिर प्रांगण में चल रहे खजुराहो नृत्य महोत्सव में शास्त्रीय नृत्य के क्षेत्र में प्रथम पंक्ति की कलाकार मैत्रेयी पहाड़ी व साथियों ने शानदार कथक की प्रस्तुति दी। लोक छन्द सांस्कृतिक इकाई रेपेट्री की संस्थापक,चार्न्स वालेस फेलोशिप से सम्मानित मैत्रेयी पहाड़ी ने कथक के माध्यम से वैदिक संस्कृति व देव लीलाओं को जीवंत कर दिया। वास्वती मिश्र व पं.बिरजू महाराज की विद्यार्थी मैत्रेयी के कथक नृत्य में अपने गुरु से प्राप्त नृत्य शिक्षा की स्पष्ट छाप देखने को मिली। गुरुवार की रात खजुराहो नृत्य महोत्सव में दूसरी प्रस्तुति भरतनाट्यम की हुई। यहां नृतक, शिक्षक व कोरियोग्राफर सत्यनारायण राजू ने भरतनाट्यम की प्रस्तुति दी। उन्होंने इस दौरान भरतनाट्यम की जो बारीकियां प्रस्तुत की उसे देखकर संगीत व नृत्य के जानकार वाह-वाह कर उठे। सत्यनारायण राजू द्वारा प्रस्तुत भरतनाट्यम की प्रस्तुति पर दर्शकदीर्घा कई बार तालियों की गडगड़ाहट से गूंज उठा। नर्मदा, सुभद्रा प्रभु से पंडनलूर शैली भरतनाट्यम का प्रशिक्षण प्राप्त सत्यनारायण राजू कथक के भी अच्छे नृतक हैं उन्होंने कथक का प्रशिक्षण डॉ.माया राव और चित्रा वेणुगोपाल से प्राप्त किया है।
कुचिपुड़ी और छाऊ की रही धूम
खजुराहो नृत्य महोत्सव में आखिरी दो प्रस्तुतियां बेहद लाजवाब रहीं। यहां अयाना मुखर्जी ने कुचिपुड़ी व प्रशांत कालिया ने छाऊ नृत्य की शानदार प्रस्तुतियां दीं। पद्म श्री गुरु जयराम राव और वनश्री राव की शिष्या अयाना मुखर्जी ने कोलकाता के रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय से कुचिपुड़ी की डिग्री पूरी की है। उन्होंने कुचिपुड़ी का प्रशिक्षण कुचिपुड़ी कला अकादमी में पद्मभूषण डॉ. वेम्पति चिन्ना सत्यम के मार्गदर्शन में पूरा किया। खजुराहो के मंच पर इनके साथ दूसरे कलाकार प्रशांत कालिया ने छाऊ नृत्य प्रस्तुत किया। संतोष नायर से छाऊ का प्रशिक्षण प्राप्त प्रशांत कालिया की प्रस्तुति को खूब प्रशंसा मिली। अपनी सटीक मुद्राओं, अंग-संचालन और स्वाभाविक सुघड़ता के लिए प्रसिद्ध प्रशांत कालिया ने बेहद बारीकी व संजीदगी के साथ छाऊ नृत्य का प्रदर्शन किया।