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Nursing College Scam: मप्र के नर्सिंग कॉलेजों में बिहार, राजस्थान व छग के विद्यार्थी लेते थे प्रवेश, सिर्फ परीक्षा देने आते थे

  1. मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय से लेकर स्थानीय स्तर पर जिला प्रशासन के अधिकारियों ने भी इन कॉलेजों की कभी जांच नहीं की
  2. कॉलेजों में गड़बड़ी सन 2018 से बढ़ी
  3. राज्य सरकार ने इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आईएनसी) की जगह अपने मापदंड निर्धारित किए

Madhya pradesh bhopal mp nursing college scam students from bihar rajasthan and chhattisgarh used to take admission in nursing colleges of madhya pradesh: digi desk/BHN/भोपाल/ मध्य प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों में तय मापदंडों के साथ तो मजाक हुआ ही, ऐसे विद्यार्थी भी यहां से डिग्री, डिप्लोमा लेकर चले गए जिन्होंने कभी कालेज का भवन तक नहीं देखा। फर्जी तरीके से संचालित इन कालेजों में प्रवेश के लिए सबसे अधिक विद्यार्थी बिहार, राजस्थान और छत्तीसगढ़ से आते थे। इनमें अधिकतर जीएनएम डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश लेते थे।

मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय से लेकर स्थानीय स्तर पर जिला प्रशासन के अधिकारियों ने भी इन कॉलेजों की कभी जांच नहीं की। कॉलेजों में गड़बड़ी सन 2018 से बढ़ी, जब राज्य सरकार ने इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आईएनसी) की जगह अपने मापदंड निर्धारित किए। यह मापदंड आईएनसी से अधिक सरल कर दिए गए, जिससे बड़ी संख्या में कॉलेज खुले। मप्र नर्सिंग काउंसिल ने मानक पूरा नहीं करने वाले कॉलेजों को भी मान्यता दे दी।

सूत्रों ने बताया कि दलालों के माध्यम से दूसरे राज्यों के विद्यार्थी नर्सिंग कॉलेजों में प्रवेश लेते थे। वह सिर्फ परीक्षा देने के लिए आते थे। इनमें सबसे अधिक बिहार के रहते थे। कालेज संचालक इनसे मनमानी पैसा लेते थे। दूसरे नंबर पर दूसरे राज्यों से सबसे अधिक विद्यार्थी राजस्थान से आ रहे थे। यहां के युवाओं के लिए नर्सिंग सर्वाधिक पसंद का पेशा है, पर सभी को वहां के कालेजों में प्रवेश नहीं मिल पाता। इस कारण वे दूसरे राज्यों में डिग्री-डिप्लोमा करने के लिए जाते हैं।

छात्रवृत्ति की चलते आदिवासी जिलों में खूब खुले कॉलेज

प्रदेश में वर्ष 2020-21 के बाद से नर्सिंग कॉलेजों की बाढ़ आ गई। गड़बड़ी का ऐसा खेल चला कि कालेजों के जो पते दिए गए थे, वहां कहीं स्कूल तो कहीं और कुछ काम होता मिला। आदिवासी जिलों में इस दौरान खूब कॉलेज खुले। कारण, एससी-एसटी विद्यार्थियों को मिलने वाली छात्रवृत्ति थी। नर्सिंग के अलग-अलग कोर्स में एक विद्यार्थी को 30 हजार से 40 हजार रुपये प्रतिवर्ष छात्रवृत्ति मिलती है।

इसके फेर में आदिवासी जिलों जैसे बैतूल, बड़वानी, खरगोन, धार आदि जिलों में खूब कॉलेज खुले। सीबीआई ने अपनी जांच में जिन 66 कालेजों को अनुपयुक्त बताया है, उनमें पांच बैतूल और तीन धार के हैं। इसी तरह उपयुक्त बताए गए कॉलेजों में सात बड़वानी के हैं। आदिवासी क्षेत्रों में अधिक कॉलेज खोलने की दूसरी वजह यह भी रही कि इन आदिवासी जिलों में नर्सिंग कॉलेज के विद्यार्थियों की सरकारी अस्पतालों में क्लीनिकल ट्रेनिंग की आसानी से अनुमति मिल जाती है।

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