New system: digi desk/BHN/ शासन ने विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी को पूरा करने के लिए अब डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड (डीएनबी) एजुकेशन को शुरू करने की स्वीकृति दी है। जिला अस्पताल रतलाम में पांच विभागों के विशेषज्ञों की पढ़ाई शुरू करने का प्रस्ताव तैयार कर (एनबीई) नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन दिल्ली को भेजा गया है। साथ ही नामांकन आवेदन की फीस के लिए सरकार से बजट की मांग की गई है।
एमबीबीएस डाक्टरों के लिए यह राहत भरी खबर है। स्नातकोत्तर (पीजी) यानी एमडी और एमएस में दाखिला नहीं मिलने पर वे नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन (एनबीई) के दो वर्षीय पीजी डिप्लोमा कोर्स से डिग्री ले सकते हैं। आठ स्पेशियलिटी वाले इस कोर्स के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अनुमति प्रदान कर दी है, जिसके लिए जिला अस्पताल ने भी आवेदन किया है। अब जल्दी ही जिला अस्पताल में विशेषज्ञ डाक्टर तैयार होंगे। कोर्स पूरा करने के बाद वे एमडी या एमएस की तरह ही विशेषज्ञ डॉक्टर कहलाएंगे। जिला अस्पताल प्रबंधन ने एनेस्थेसियोलॉजी, प्रसूति और स्त्री रोग, फैमिली मेडिसिन, नेत्र रोग और रेडियोडायग्नोसिस विभाग के लिए आवेदन किया है। एनबीई के ये कोर्स भी एमसीआइ के समकक्ष ही मान्यता वाले हैं। इनमें सरकारी अस्पतालों में सेवारत चिकित्सकों को दाखिला दिया जाता था। उनके अनुभव के आधार पर इन्हें पीजी के समकक्ष माना गया था। अब इन कोर्स को एनबीई ने फिर से लांच किया है।
- -ऑनलाइन आवेदन करने के बाद एनबीई दिल्ली की टीम कॉलेज का निरीक्षण करेगी। जिसके आधार पर सीटों की संख्या निर्धारित की जाती है। जिसके आधार पर प्रशिक्षु चिकित्सकों के प्रवेश होंगे। नए बैच की शुरुआत होती है।
- डिप्लोमा व डिग्री चिकित्सक में अंतर
- – डिप्लोमा कोर्स दो वर्ष में पूरे होते हैं।
- – डिग्री कोर्सों में तीन वर्ष का समय लगता है।
- – दोनों की फीस में अंतर रहता है।
- – डिप्लोमा चिकित्सक मेडिकल कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं बनते।
- – डिप्लोमा वाले मेडिकल कॉलेजों में पढ़ा नहीं सकते।
- – किसी भी विषय पर रिसर्च नहीं कर पाएंगे।
सीपीएस की कक्षाएं भी हो रही संचालित
जिला अस्पताल में फिजिशियंस एंड सर्जंस कॉलेज मुंबई (सीपीएस) का कोर्स भी संचालित है। इस कोर्स में आठ डाक्टरों को प्रवेश दिया गया है। नियमित कक्षाएं भी संचालित हो रही हैं। मेडिसिन, सर्जरी, ऑर्थोपेडिक और शिशु रोग विभाग में दो साल का यह डिप्लोमा कोर्स पिछले साल से संचालित है। जिला अस्पताल के ही विभागाध्यक्ष डाक्टरों की कक्षा ले रहे हैं। डिप्लोमा करने के बाद सीपीएस मुंबई प्रमाणपत्र जारी करेगी। जिला अस्पताल में चार विभागों में चयनित आठ डाक्टर डिप्लोमा कर रहे हैं। जिनमें सेवारत डाक्टर शामिल हैं ये जिस विभाग में डिप्लोमा कर रहे हैं, वहां मरीजों की ओपीडी और इनडोर वार्डों में भी मरीजों का इलाज कर रहे हैं । इससे डाक्टरों की कमी की समस्या से कुछ राहत मिल रही है।