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लालू की बेटी रोहिणी ने सुंदर कांड की पंक्तियों को बदला, मुख्यमंत्री नीतीश की पत्नी और बेटे पर साधा निशाना?

पटना.

रामचरितमानस की पंक्तियों पर पिछले साल तत्कालीन महागठबंधन सरकार में राष्ट्रीय जनता दल कोटे के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर लगातार आपत्तियां कर रहे थे। अब राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की बेटी ने उसी रामचरितमानस की पंक्तियों का इस्तेमाल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जवाब देने के लिए किया है। सारण लोकसभा क्षेत्र से पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी के खिलाफ उतरीं रोहिणी आचार्य ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निजी हमले के लिए मानस के सुंदर कांड की पंक्तियों को बदल डाला है।

उन्होंने पंक्तियां बदलते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे और पत्नी पर निशाना साधा है। रोहिणी आचार्य के सोशल मीडिया पोस्ट की इन पंक्तियों को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उस बयान का जवाब माना जा रहा है, जिसमें उन्होंने लालू प्रसाद यादव को बहुत सारे बच्चे जन्म देने और पत्नी-बच्चों को कुर्सी सौंपने पर आपत्ति जताई थी।

क्या लिखा है रोहिणी ने, क्यों
लालू प्रसाद यादव को अपनी किडनी दान कर उन्हें जीवनदान देने वाली बेटी रोहिणी आचार्य अब औपचारिक तौर पर राजनीति में कूद गई हैं। वह राजनीति में नहीं थीं, तब भी लालू के विरोधियों पर हमले के लिए जानी जाती थीं। जनवरी तक बिहार में चल रही महागठबंधन सरकार के गिरने की आशंका भी रोहिणी के सोशल मीडिया पोस्ट से ही सही हुई थी, जब उन्होंने सीधे सीएम नीतीश कुमार पर हमला बोला था। इस बार चुनाव में उतरीं रोहिणी ने कुछ देर पहले सोशल मीडिया पर लिखा है- "जहां सुमति तहां पूत – यश और कर्म गुणवाना। जहां कुमति तहां पूत-परिवार पर विपत्ति निधाना।।" रोहिणी ने चूंकि रामचरितमानस के सुंदर कांड के दोहे को बदल डाला है, इसलिए इसका सीधा अर्थ किसी किताब में नहीं मिल सकता है। जहां तक भाव का सवाल है तो कर्मकांड के जानकार पंडित शशिकांत मिश्र इसका अर्थ समझाते हैं कहते हैं कि शायद उनका आशय यह होगा- "सद्बुद्धि के कारण पूत (पुत्र), यश (धन-वैभव-पहचान), कर्म (सुखी संपन्न परिवार) और गुण (प्रगति के पथ पर अग्रसर) लालू परिवार को मिला है। दूसरी ओर चूंकि कुमति के कारण पूत, परिवार पर विपत्ति है।" संभवत: नीतीश कुमार के बेटे और मृत पत्नी को लेकर यह बातें कही गई हैं, क्योंकि पिछली बार भी जब नीतीश एनडीए में थे तो लालू परिवार से ऐसी बात सामने आयी थी।

जिस दोहे को बदला गया, वह भी जान लें
सुंदर कांड में एक जगह पर विभीषण अपने बड़े भाई रावण को समझाते हुए कहते हैं- "सुमति कुमति सब कें उर रहहीं। नाथ पुरान निगम अस कहहीं।। जहां सुमति तहं संपति नाना। जहां कुमति तहं बिपति निदाना।।" इसका अर्थ भी बताया गया है- "पुराण और वेद ऐसा कहते हैं कि सुबुद्धि और कुबुद्धि सभी के हृदय में रहती है। जहां सुबुद्धि है, वहां कई प्रकार की सुख-संपदाएं रहती हैं। जहां कुबुद्धि हैं, वहां परिणा में विपत्ति रहती है।" मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जवाब देने के लिए रोहिणी आचार्य ने मानस के इन्हीं दोहे को अपने हिसाब से बदलकर इस्तेमाल किया है।

क्या कहा था नीतीश ने, जानें वह भी बात
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कटिहार में जनसभा को संबोधित करते हुए लालू परिवार पर विवादित टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि कुछ लोग इन दिनों सब कुछ दावा करते हैं। जब उन्हें हटाया गया तो उन्होंने अपनी पत्नी को नियुक्त किया। अब, इन दिनों यह उनके बच्चे हैं। आप पैदा तो बहुत कर दिए। इतना ज्यादा बाल-बच्चा किसी को पैदा करना चाहिए क्या? लेकिन, इतना किया। अब उन्होंने अपने बेटे-बेटियों सबको शामिल कर लिया है। वह हर जगह कुछ-न-कुछ कहते रहते हैं, पुरानी बातें भूल जाते हैं, इसलिए मैं सबको बताना चाहता हूं कि कोई भी काम नहीं हो पाता था बाहर, कोई सड़क या शिक्षा नहीं थी।"

कल तेजस्वी यादव ने इन शब्दों में नीतीश को दिया था जवाब
इस मामले पर तेजस्वी यादव ने कल जवाब देते हुए कहा था नीतीश जी मेरे आदरणीय हैं, अभिभावक हैं। वह हमें कुछ भी कह सकते है, पहले भी तो ऐसी बात कह चुके हैं। उनकी हर बात हमारे लिए आशीर्वचन एवं आशीर्वाद है। वैसे ये सब बातें कोई चुनावी मुद्दा नहीं है। हमारे ऊपर व्यक्तिगत बात करने से या हमारे द्वारा विपक्ष पर व्यक्तिगत आरोप एवं बात करने से जनता का क्या भला होगा? हम राजनीति और लोकतंत्र में लोग की बातें करते हैं ना कि स्वयं की। तेजस्वी यादव ने कहा कि व्यक्तिगत चीजें केवल घर के ड्राइंग रूम तक ही होनी चाहिए। वर्षों से सत्ता पर काबिज एनडीए के नेता गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, नौकरी, विकास-निवेश जैसे मुद्दों का जिक्र राजनीतिक मंचों से क्यों नहीं करते? तेजस्वी यादव ने कहा कि मुद्दों से क्यों भाग रहे है?

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