for openening branches bank:digi desk/BHN/ मध्य प्रदेश में सरकार को सहकारी बैंकों की शाखाएं खोलने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) की अनुमति नहीं लेना होगी। उपभोक्ताओं की सुविधाओं को देखते हुए इसका विस्तार किया जा सकेगा। वहीं, अंकेक्षकों के लिए भी अलग से पैनल नहीं बनेगी। इसके लिए सरकार 22 फरवरी से होने वाले विधानसभा के बजट सत्र में सहकारी अधिनियम में संशोधन विधेयक प्रस्तुत करेगी। उधर, उपभोक्ताओं से ऋण वसूली के लिए समझौता करने के लिए भी अब राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) से अलग-अलग अनुमति नहीं लेनी होगी। इसका फायदा सभी जिला सहकारी बैंकों को मिलेगा।
सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने बताया कि केंद्र सरकार ने बैंकिंग रेग्यूलेशन एक्ट में संशोधन किया है, जिसके आधार पर सहकारी अधिनियम में संशोधन किया जाना है। यह प्रविधान एक अप्रैल से लागू होंगे। इसके लिए बजट सत्र में संशोधन विधेयक प्रस्तुत कर अधिनियम में प्रविधान किए जाएंगे। इससे बैंकों को शाखाएं खोलने के लिए आरबीआइ की पूर्व अनुमति की जरूरत नहीं पड़ेगी।
सरकार उपभोक्ताओं की सुविधा और बैंकिंग व्यवसाय के दृष्टिगत निर्णय ले सकेगी। सहकारी समितियों का ऑडिट करने के लिए अंकेक्षकों की नई व्यवस्था बनेगी। अलग से कोई पैनल नहीं होगी। ऋण वसूली के लिए समय-समय पर लाई जाने वाली एकमुश्त समझौता योजना के लिए तो आरबीआइ और नाबार्ड की अनुमति लगेगी, लेकिन एक-एक प्रकरण के लिए अब यह व्यवस्था नहीं रहेगी। पंजीयक की अनुमति से बैंक ऐसा कर सकेंगे। बैंक एनपीए कम करने के लिए इस तरह की योजनाएं लाते हैं, जिनमें कर्जदार को ब्याज में कुछ छूट देकर वसूली की जाती है। राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक द्वारा कर्ज वसूली के लिए पूरा ब्याज माफ कर मूलधन की वसूली की योजना लाई गई थी।