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सहारनपुर मंडल में गेंहू की बंपर पैदावार से किसानो के चेहरे खिल गये, किसानों का रूझान पापुलर की खेती की ओर बढ़ा

सहारनपुर
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर मंडल में गेंहू की बंपर पैदावार से किसानो के चेहरे खिल गये हैं। सहारनपुर का किसान चावल, गेहूं और गन्ने की खेती करता है। पिछले कुछ सालों के दौरान किसानों का रूझान पापुलर की खेती की ओर बढ़ा है। इस बार नगदी फसल माने जाने वाली गन्ने की फसल पिट जाने से किसानों को जो मायूसी हाथ लगी थी वह गेहूं की उत्पादकता बढ़ने और अच्छी फसल होने से पूरी तरह से दूर हो गई है। अधिकृत सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि जिले में वर्ष 2023-24 में 111886 हेक्टेयर में गेहूं की बुआई हुई थी और अबकी पिछले वर्ष की तुलना में गेहूं की उत्पादकता में करीब 1.83 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की वृद्धि सामने आई है।        
 
सहारनपुर के उप निदेशक कृषि डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि तीन कारणों से गेहूं की उत्पादकता बढ़ोतरी दर्ज की गई है। सबसे प्रमुख कारण किसानों ने उन्नत प्रजाति डीबीडब्लयू-187, 303 और 222 की बुआई की थी। पहले किसान एचडी-2967 प्रजाति की बुआई करते थे। हालांकि कुछ किसान अभी भी पुरानी प्रजाति की बुआई कर रहे हैं। डा.कुमार के मुताबिक नई प्रजाति की फसल की दो खूबियां हैं एक तो फसल गिरती नहीं है दूसरे भूसा भी अच्छा होता है। नई प्रजाति के गेहूं की पैदावार पिछले पांच वर्षों की तुलना में बेहतर है। पहले 41.67 क्विंटल प्रति हेक्टेयर थी जो बढ़कर 43.50 हो गई है। वर्ष 2019-20 में गेहूं की उत्पादकता 38.92 क्विंटल प्रति हेक्टेयर थी। यानि पिछले पांच वर्षों में 4.58 क्विंटल प्रति हेक्टेयर बढ़ी है।
 
इससे किसानों की लागत कम हुई और आय में बढ़ोतरी हुई है। गांव चंदेना कोली के एक छोटे प्रगतिशील किसान दीपक शर्मा ने बताया कि उनके तीन बीघे के खेत में अबकी 303 प्रजाति का गेहूं साढ़े दस क्विंटल हुआ है। जबकि पिछली बार इसी प्रजाति का गेहूं आठ क्विंटल हुआ था। ढाई क्विंटल की बढ़ोतरी बड़े संतोष का कारण है। उन्होंने इस बार अपने ही गेहूं का बीज बोया था। कृषि विशेषज्ञों और किसानों के मुताबिक इस बार गेहूं की बुआई समय से हुई थी और मौसम भी पूरी तरह अनुकूल रहा। जिला गन्ना अधिकारी सुशील कुमार बताते हैं कि बीते पेराई सीजन में जिले में गन्ने की पैदावार में 30 फीसद की गिरावट रही थी। हालांकि किसानों को पर्ची देने और गन्ने का इधर-उधर ज्यादा डायवर्जन ना होने के कारण चीनी मिलों को गन्ने की आपूर्ति महज 20 फीसद गिरी। यानि इस बार गन्ने की खेती से हुए नुकसान की भरपाई किसानों को गेहूं की बढ़ी हुई पैदावार से पूरी हो गई है।

 

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