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Onion:1 जनवरी से हट जाएगी प्‍याज के निर्यात से पाबंदी, सरकार ने इसलिए लिया यह निर्णय

Onion Price:digi desk/BHN/ किसानों को इन दिनों प्याज के कम भाव मिलने से नुकसान उठाना पड़ रहा है। पिछले एक सप्ताह में एक हजार रुपये प्रति क्विंटल तक प्याज के भाव में गिरावट आई है। इसके चलते अब सरकार ने प्याज के निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटाने का निर्णय लिया है। यह पहली जनवरी, 2021 से प्रभावी हो जाएगा। फिलहाल राजधानी दिल्ली में प्याज की कीमत 35-40 रुपये प्रति किलो के स्तर पर है। भारत की गिनती विश्व के सबसे बड़े प्याज निर्यातक देशों में होती है। प्याज की सबसे अधिक पैदावार महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश व कर्नाटक में होती है। जहां एक सप्ताह पहले इंदौर की मंडी में किसानों को प्याज के भाव 2800 से 3000 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहे थे। वहीं शनिवार को 1700 से 1900 रुपये प्रति क्विंटल मिले। केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना जारी कर कहा कि पहली जनवरी, 2021 से यह प्रतिबंध सभी किस्म के प्याज से हटा लिया गया है। जानकारों का मानना है कि यह निर्णय प्याज की कीमतों में नरमी की स्थिति को देखते हुए लिया गया है। देश भर में प्याज की कीमतों में तेज उछाल के बाद सरकार ने सितंबर में इसके निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी। निर्यात पर रोक, जमाखोरी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई व अन्य उपायों के बल पर सरकार ने आसमान छूती कीमतों को काबू पाने में सफल रही।

प्रदेश के खरगोन जिले के ग्राम नागझिरी के कृषक कृष्णा सोलंकी ने बताया कि वे 70 क्विंटल प्याज इंदौर की मंडी में बेचने के लिए पहुंचे थे। उन्हें शनिवार को प्याज के भाव 1900 रुपये प्रति क्विंटल मिला। उन्होंने बताया कि पांच दिन पहले वे 30 क्विंटल प्याज मंडी में बेचने गए थे तब उन्हें 2800 रुपये प्रति क्विंटल भाव मिला था। इसी गांव के राजेंद्र कुशवाह के प्याज का शनिवार को 1700 रुपये प्रति क्विंटल भाव मिला। कृषक सोलंकी ने बताया कि उन्होंने तीन माह पहले एक एकड़ में प्याज की फसल लगाई थी। किसानों का कहना है कि कुछ दिनों पहले हुई बारिश से प्याज की फसल प्रभावित हुई है। यही वजह वे प्याज को बेचने के लिए पहुंचे हैं। उल्लेखनीय है कि जिले के जिले के ग्राम नागझिरी, बरुड़, मांगरुल आदि स्थानों पर किसान प्याज की खेती की जाती है। जिले में बारिश और गर्मी दो सीजन में प्याज की खेती होती है। बारिश के सीजन में प्याज की खेती कम की जाती है। किसान प्याज का रोपा तैयार करते हैं। तीन माह में फसल तैयार हो जाती है।

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