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भजनलाल शर्मा : मोदी ने क्यों जताया ब्राह्मणों पर भरोसा, सनातन पर हमलों के बीच कितना कारगर होगा ये दांव?

जयपुर.

ब्राह्मण कभी देश की राजनीतिक दिशा तय करते थे। मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू होने के बाद देश की सियासत का एक नया दौर शुरू हुआ और ब्राह्मण हाशिये पर चला गया। आज की राजनीतिक सच्चाई यही है कि उत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक अनेक राजनीतिक दल ब्राह्मणों को कोस कर ही अपनी राजनीति आगे बढ़ा रहे हैं। इसका असर यह हुआ है कि कोई भी राजनीतिक दल ब्राह्मणों को प्रमुख भूमिका देने के लिए तैयार नहीं हैं।

पूर्वोत्तर के असम में हेमंत बिस्व शर्मा और पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ब्राह्मण समुदाय से मुख्यमंत्री हैं, लेकिन उत्तर भारत के हिंदी हार्ट लैंड में कोई भी ब्राह्मण मुख्यमंत्री नहीं है। ऐसे दौर में प्रधानमंत्री मोदी ने भजनलाल शर्मा को राजस्थान का मुख्यमंत्री नियुक्त किया है। बड़ा प्रश्न यही है कि भाजपा ने यह दांव क्यों चला और इसका क्या असर होगा? पिछले कुछ समय से सनातन धर्म और ब्राह्मणों पर आपत्तिजनक टिप्पणियों की बाढ़ सी आ गई है। इंडिया गठबंधन में शामिल राजद के मंत्री-विधायक से लेकर दक्षिण भारत में तमिलनाडु सरकार में मंत्री तक ने सनातन धर्म को खत्म करने जैसी बातें कहीं। चूंकि इंडिया गठबंधन जातीय जनगणना और ओबीसी आरक्षण को मुद्दा बनाकर आगामी लोकसभा चुनाव में मोदी का विजय अभियान रोकने की योजना बना रहा है, इन हमलों को भी उसी चुनावी दांव के रूप में देखा गया।

लेकिन इन हमलों के बाद भी यदि भाजपा ने ब्राह्मणों पर भरोसा जताया है, तो इसका सबसे बड़ा कारण यही रहा है कि कांग्रेस के कमजोर होने के बाद ब्राह्मण वर्ग भाजपा का कोर वोटर बनकर उभरा है। राम मंदिर आंदोलन से लेकर अब तक वह पूरी मजबूती के साथ भाजपा का समर्पित मतदाता बना हुआ है। यदि नरेंद्र मोदी को किसी समुदाय ने हिंदू हृदय सम्राट के तौर पर स्थापित किया है, तो यह काम ब्राह्मणों ने ही किया है।

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