- सराफा व बर्तन बाजार दमकेगा
- शुभ मुहूर्त में होगी खुशियों की खरीदी
- बेशकीमती धातुओं के साथ दो व चार पहिया वाहनों की बिक्री भी होगी
Spiritual satsang dhan teras 2023 kuber puja will be held on dhanteras on friday for wealth and prosperity: digi desk/BHN/उज्जैन/ कार्तिक मास के धनत्रयोदशी पर शुक्रवार से पांच दिवसीय दीपपर्व की शुरुआत होगी। धन समृद्धि के लिए कुबेर देवता का पूजन किया जाएगा। नगरवासी शुभमुहूर्त में सोने,चांदी के आभूषण,सिक्के तथा बर्तनों की खरीदी करेंगे। जोरदार ग्राहकी से सराफा व बर्तन बाजार दमकेगा। धनतेरस पर यम के निमित्त दीपदान का विशेष महत्व है। घर व प्रतिष्ठानों में आज से पांच दिन दीपमालिका सजाई जाएगी।
धनतेरस पर सांदीपनि आश्रम स्थित श्री कुंडेश्वर महादेव मंदिर में विराजित कुबेर देवता की पूजा अर्चना की जाएगी। इस मंदिर में धनतेरस पर कुबेर देवता की नाभि में इत्र लगाने का विधान है।
मान्यता है कुबेर देवता की नाभि में इत्र लगाने से वें प्रसन्न होकर सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। घरों में भी प्रदोषकाल में कुबेर देवता की पूजा अर्चना की जाएगी। इस दिन नवीन वस्तु खरीदने से वर्षभर सुख समृद्धि बनी रहती है।
मौनतीर्थ आश्रम में आज से कुबेर यज्ञ
मंगलनाथ मार्ग स्थित मौनतीर्थ आश्रम में महामंडलेश्वर स्वामी सुमनानंद गिरिजी महाराज के सानिध्य में धनत्रयोदशी से दीपावली तक राष्ट्र मंगल व सुख समृद्धि की कामना से कुबेर यज्ञ किया जाएगा। भक्त आर्थिक प्रगति व व्यापार में उन्नति के लिए कुबेर यज्ञ में शामिल हो सकते हैं।
भूमि, भवन, वाहन की खरीदी होगी
धनतेरस पर बेशकीमती धातुओं के साथ दो व चार पहिया वाहनों की बिक्री भी होगी। शोरूम संचालकों के अनुसार धनतेरस के लिए 75 से अधिक कारों की एडवांस बुकिंग हो चुकी है। दो पहिया वाहन की खरीदी में भी लोग रुची दिखा रहे हैं। रियल स्टेट में भी अच्छा कारोबार होने की उम्मीद जताई जा रही है। लोग प्लाट, मकान की खरीदी पर विशेष आफर भी दिए जा रहे हैं। नए मकानों की बुकिंग व प्लाट के सौदे होने के लेकर करोबारी आशान्वित हैं।
धनतेरस पर इस तरह जलाएं यम का दीपक, जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व
दिवाली का त्योहार धनतेरस से ही शुरू हो जाता है। धनतेरस कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। धनतेरस के दिन सोने और चांदी की चीजें खरीदना शुभ माना जाता है। धनतेरस की रात देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा के अलावा यमराज की भी पूजा की जाती है। यम के नाम पर एक दीपक भी जलाया जाता है। आइए, जानते हैं कि यम का दीपक क्यों जलाया जाता है और इसकी सही विधि क्या है।
क्यों जलाया जाता है यम का दीपक
धनतेरस के दिन मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा की जाती है। साथ ही रात के समय दक्षिण दिशा में चार मुखी यम का दीपक भी जलाया जाता है। ज्योतिष शास्त्र में दक्षिण दिशा को भगवान यमराज की दिशा माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, धनतेरस के दिन यदि दक्षिण दिशा में यम का दीपक जलाया जाए, तो यमराज प्रसन्न होते हैं। यह दीपक परिवार के सदस्यों की सुरक्षा के लिए घर के बाहर भगवान यमराज के लिए जलाया जाता है। इसे यमराज द्वारा दीपदान या यम दीपम भी कहा जाता है।
यम का दीपक जलाने का शुभ मुहूर्त
धनतेरस के दिन यमराज का दीपक जलाने के लिए शाम का समय सबसे अच्छा माना जाता है। ऐसे में धनतेरस पर यम दीप जलाने का शुभ समय शाम 5.30 बजे से 6.49 बजे तक रहेगा।
इस विधि से जलाएं यम दीपम
धनतेरस पर यम दीप जलाने के लिए आटे का चौमुखी दीपक बनाएं। इसमें सरसों का तेल डालें। फिर इस आटे के दीपक में चार बत्तियां लगाकर, घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जला दें। इससे पूरे परिवार में स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि आती है।