सतना, भास्कर हिंदी न्यूज/ भारतीय जनता पार्टी ने चुनावी तारीख घोषित होने से पहले टिकट फाइनल तो कर दी, लेकिन यह निर्णय परेशानी का सबब बनता दिख रहा है। पहली सूची में घोषित किए गए तमाम प्रत्याशियों को पार्टी के कार्यकर्ता या फिर दावेदार विरोध करते हुए दिखाई दे रहे हैं। यही हाल सतना जिले की चित्रकूट विधानसभा सीट का है। चित्रकूट से भाजपा ने पूर्व विधायक सुरेन्द्र सिंह गहरवार को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। टिकट की घोषणा के बाद ही टिकट के प्रबल दावेदारों में शामिल रहे सुभाष शर्मा डोली ने बगावती रुख अपना लिया। हाल ही में उन्होंने मझगवां से सतना तक वाहनों को काफिला निकाल कर शक्ति प्रदर्शन किया है। इसके अलावा संकेत दिए हैं कि वह अब चुनाव मैदान में जरूर उतरेंगे। डोली शर्मा छात्र राजनीति से सक्रिय हैं। उन दिनों वे कांग्रेसी बेडे में शामिल थे। 2017 के उप चुनाव में कांग्रेस ने टिकट नीलांशु चतुर्वेदी को दे दी जिसके बाद डोली शर्मा भाजपा में शामिल हो गए। इस बीच दूसरा चुनाव होने जा रहा है और भाजपा ने उन्हें अब तक कोई मौका नहीं दिया। संभवत: इसी बात से नाराज हैं और अलग होकर चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।
प्रत्याशी पर कर रहे कटाक्ष
डोली शर्मा अपने समर्थकों के साथ लगातार बैठकें कर रहे हैं और भाजपा को अपनी ताकत का अहसास कराने की कोशिश कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने कई बार भाजपा के प्रत्याशी सुरेन्द्र सिंह गहरवार पर कटाक्ष करते हुए हमला बोला। सोशल मीडिया में डोली शर्मा के एक बयान का वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वे सुरेन्द्र सिंह को धोखे से विधायक विधायक बनने वाला बताया। ज्ञात हो कि सुरेन्द्र सिंह अब तक सिर्फ एक बार 2008 में विधानसभा का चुनाव जीते और वह भी करीब छह सौ वोटों से विजय प्राप्त कर सके। जिसके बाद अब उन पर घोखे से चुनाव जीतने का आक्षेत्र लगाया गया है।
बढ़ सकती हैं भाजपा प्रत्याशी की मुश्किल
भारतीय जनता पार्टी के पत्याशी सुरेन्द्र सिंह गहरवार को टिकट दिए जाने का विरोध उन्हीं के दल में शामिल भाजपा के प्रदेश कार्य समिति सदस्य सुभाष शर्मा डोली द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने जगह-जगह सभाओं को आयोजन कर जनता से अपने लिए समर्थन मांग रहे हैं और अभी तक भाजपा ने डोली शर्मा को मनाने की कोशिश भी नहीं की है। ऐसी स्थिति में सबसे अधिक नुकसान अगर किसी को होगा तो वह सुरेन्द्र सिंह को होगा। डोली शर्मा निर्दलीय चुनाव लड़कर खुद भले ही चुनाव न जीतें लेकिन वे भाजपा का समीकरण विगाड़ सकते हैं इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।