Madhya pradesh kuno national park question mark on the death of cheetah tejas in kuno park even after 24 hours monitoring: digi desk/BHN/भोपाल(/कूनो नेशनल पार्क में चीतों की देखरेख में लापरवाही लगातार सामने आ रही है। मंगलवार को चीता तेजस की मौत ने नए सवाल खड़े कर दिए हैं। पार्क प्रबंधन और वन्यप्राणी मुख्यालय लगातार दावा कर रहा है कि बाड़ों में कैद चीतों की कैमरे लगाकर 24 घंटे निगरानी की जा रही है। फिर भी बाड़े में चीता घायल हुआ और कई घंटे प्रबंधन काे पता नहीं चला। जब पता चला, तो इलाज की अनुमति लेने में तीन घंटे लग गए और उसकी मौत हो गई। कूनो में अब तक चार वयस्क और तीन शावक चीतों की मौत हो चुकी है। हर बार प्रबंधन पर लापरवाही के आरोप लगते हैं और उन्हें नजरंदाज कर दिया जाता है।मंगलवार को घटे घटनाक्रम की बात करें, तो निगरानी दल ने सुबह 11 बजे चीता तेजस को घायल देखा, प्रबंधन को बताया, फिर शुरू हुई इलाज की अनुमति लेने की कवायद, जिसमें तीन घंटे लग गए।
जब डाक्टर ट्रंकुलाइजगन लेकर बाड़े के पास पहुंचे, चीता मर चुका था। पार्क प्रबंधन ने पहले यह भी छिपाया कि चीता तेजस के साथ एक मादा चीता भी बाड़े में थी। दरअसल, पहले ही एक चीते की मेटिंग के दौरान आपसी लड़ाई में मौत हो चुकी है। इसलिए पार्क के अधिकारी यह बताने को ही तैयार नहीं थे। बाद में वन्यप्राणी मुख्यालय ने स्थिति स्पष्ट की।
वन्यप्राणी कार्यकर्ता अजय दुबे ने सवाल उठाया है कि इतनी चाकचौबंद सुरक्षा और निगरानी व्यवस्था है, तो चीते को चोट कैसे लगी, यह बताने के लिए इंतजार क्यों कराया जा रहा है। जांच करने की जरुरत क्यों पड़ रही है या फिर यह सही है कि पार्क में ठीक से निगरानी नहीं की जा रही है।वे कहते हैं कि चीता तेजस की मौत से कई सवाल उपजते हैं। 24 घंटे निगरानी के बाद भी चीता चोटिल कैसे हो गया और इलाज की अनुमति लेने में तीन घंटे क्यों लग गए। सवाल चीता प्रबंधन को बेहतर करने का भी है। दुबे कूनो के संचालक पीके वर्मा, परियोजना प्रभारी उत्तम शर्मा को हटाने, उनकी जिम्मेदारी तय करने और जांच कराने की मांग करते हैं।