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खरमास कब से शुरू हो रहा और कब तक रहेगा, जानिए क्या है पंचांग में, खरमास में करें इनकी पूजा, मिलेगा लाभ

kharmas 2020:BHN/ शहनाई की गूंज 16 दिसंबर से अगले एक महीने के लिए थमने वाली है. इसके साथ ही तमाम मांगलिक कार्यों पर भी ब्रेक लगेगा. हिंदू धर्मावलंबियों के खास महीना खरमास 16 दिसंबर (बुधवार) से शुरू हो रहा है, जो नये साल में 14 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के बाद समाप्त हो जायेगा.

इस दिन सूर्य उत्तरायण हो जायेंगे और शुभ मांगलिक कार्य शुरू होंगे. खरमास में पितृ पिंडदान का खास महत्व है. पंडित राकेश झा शास्त्री ने पांचांगों के हवाले से बताया कि मार्गशीर्ष शुक्ल प्रतिपदा के अंत और द्वितीय तिथि के आरंभ यानी 16 दिसंबर से सूर्य बनारसी पंचांग के मुताबिक प्रात 6.15 बजे धनु राशि में प्रवेश करेंगे.

वहीं, मिथिला पांचांग के अनुसार प्रात 6. 35 बजे सूर्य का धनु में प्रवेश हो रहा है. सूर्य के धनु राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास यानी अशुद्ध मास का आरंभ हो जायेगा. खरमास में भगवान नारायण की पूजा विशेष फलदायी होती है.

इस मास में विष्णु सहस्त्रनाम, पुरुष सूक्त, सत्यनारायण कथा, भागवत पाठ, आदित्य हृदयस्त्रोत्र का पाठ, भास्कर को अर्घ्य तथा गरीब, असहाय को अन्न, वस्त्र का दान, गौ सेवा आदि से पुण्य फल मिलता है.

सूर्य का राशि परिवर्तन
  • सूर्य का धनु राशि में प्रवेश का समय : बुधवार 16 दिसंबर, प्रातः 6:15 बजे
  • सूर्य का धनु राशि में समयावधि : लगभग एक मास

सूर्य की स्थिति में परिवर्तन : 14 जनवरी 2021 को दोपहर 2:03 बजे मकर राशि में प्रवेश

2021 : शुभ विवाह
  • जनवरी : 18
  • अप्रैल : 22, 24, 25, 26, 27, 28, 29, 30
  • मई : 1, 2, 7, 8, 9, 13, 14, 21, 22, 23, 24, 26, 28, 29, 30
  • जून : 3, 4, 5, 16, 19, 20, 22, 23, 24
  • जुलाई : 1, 2, 7, 13, 15
  • नवंबर : 15, 16, 20, 21, 28, 29, 30
  • दिसंबर : 1, 2, 6, 7, 11, 13
खरमास में शादी-विवाह व अन्य मांगलिक कार्य वर्जित

खरमास के दौरान कोई भी शुभ मांगलिक आयोजन नहीं होंगे. विवाह के अलावा नये घर में गृह प्रवेश, नये वाहन की खरीद, संपत्तियों का क्रय विक्रय, मुंडन संस्कार जैसे अनेक शुभ कार्य वर्जित होते हैं. खरमास 14 जनवरी 2021 को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही समाप्त हो जायेगा.

सूर्य, गुरु की राशि धनु एवं मीन राशि में प्रवेश करता है तो इससे गुरु का प्रभाव समाप्त हो जाता है. शुभ मांगलिक कार्यों के लिए गुरु का पूर्ण बली अवस्था में होना आवश्यक है. कहा जाता है कि इस दौरान सूर्य मलिन अवस्था में रहता है. इसलिए इस एक माह की अवधि में किसी भी प्रकार के शुभ मांगलिक कार्य नहीं किये जाते.

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