Health Alert avoid smoking tobacco consumption this is the main cause of cataract: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ मोतियाबिंद अंधेपन की बड़ी वजह तो है परंतु समय रहते उपचार कराने से आंखों की रोशनी को बचाया जा सकता है। मरीज पहले की तरह न सिर्फ देख सकते हैं, बल्कि कुछ खास स्थितियों में उसे चश्मे से भी निजात मिल सकती है। मोतियाबिंद का पूरा मैकेनिज्म समझने के लिए हमें आंख की संरचना समझने की जरूरत है। हमारी आंख की पुतली के पीछे एक लेंस होता है। पुतली पर पड़ने वाली रोशनी को यह लेंस फोकस करता है और रेटिना में साफ इमेज बनाता है। कभी-कभी इस लेंस पर कुछ धुंधलापन या सफेदी आ जाती है।
लेंस पर होने वाले इसी धुंधलेपन या सफेदी की स्थिति को कैटरेक्ट या मोतियाबिंद कहा जाता है। सफेदी धीरे-धीरे बढ़ती जाती है और मरीज की नजर धुंधली होती जाती है। उम्र बढ़ने के साथ लगभग ज्यादातर लोगों में मोतियाबिंद हो जाता है। कई बार यह युवाओं में भी हो सकता है और बच्चों में भी।
यह एक आंख में भी हो सकता है और दोनों में भी। मोतियाबिंद आंखों को धीरे धीरे जकड़ता है। इस दौरान आंखों में दर्द नहीं होता। स्टेराइड वाली दवाओं के ज्यादा सेवन, अल्ट्रावायलेट रोशनी का ज्यादा एक्सपोजर, धूम्रपान, तंबाकू का सेवन, बढ़ती उम्र, आंखों की चोट इस बीमारी की मुख्य वजह में शामिल हैं। सूरज की तेज रोशनी में देखने में तकलीफ, धुंधला नजर आना, नजर कमजोर होना, वाहनों की रोशनी में चकाचौंध होना, रंगों की पहचान में कठिनाई, चश्मे का नंबर जल्दी बदलना आदि इसके लक्षण हैं।