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Satna: जघन्य हत्या के मामले में डाक्टर को आजीवन कारावास, धवारी स्थित क्लीनिक में काम करने वाली नर्स की हत्या कर गड्ढे में दफना दी थी लाश

1000-1000 रूपये का अर्थदंड

सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ न्या्यालय सप्तम अपर सत्र न्यायाधीश सतना यतीन्द्र कुमार गुरू द्वारा आरोपी अशुतोष त्रिपाठी तनय नरेन्द्र् त्रिपाठी उम्र 32 वर्ष हाल निवासी धवारी कोतवाली सतना मूल निवासी शिवराजपुर थाना सिंहपुर सतना को धारा 302 भा0द0सं0 के अंतर्गत आजीवन कारावास एवं 1000 रूपये एवं धारा 201 भा0द0सं0 के अंतर्गत 05 वर्ष का कठोर कारावास एवं 1000 रूपये के अर्थदंड से दंडित किया गया, मामले में राज्य की ओर से वरिष्ठ सहायक जिला अभियोजन अधिकारी बृजेन्द्र नाथ शर्मा द्वारा अभियोजन का संचालन किया गया। प्रकरण की विवचेना निरीक्षक अर्चना द्विवेदी एवं एसआई अजय कुमार शुक्ला द्वारा की गई।
अभियोजन प्रवक्ता हरिकृष्ण त्रिपाठी ने बताया कि, गुमशुदा भानू केवट के संबंध में थाना सिटी कोतवाली सतना में गुम इंसान क्रमांक 08/21 कायम हुआ था । गुम इंसान की जांच के दौरान उपनिरीक्षक अजय शुक्ला ने गुमशुदा भानू केवट की माता रूकमीना केवट एव पिता रामनरेश केवट आदि के कथन लिये और गुमशुदा के द्वारा उपयोग किये जा रहे मोबाइल नम्बर 7049085691 एवं संदेही आशुतोष त्रिपाठी के मोबाइल नम्बर की कॉल डिटेल रिपोर्ट पुलिस अधीक्षक कार्यालय साइबर सेल से प्राप्त किया। साइबर सेल से प्राप्त कॉल डिटेल रिपोर्ट एवं गुम इंसान के दौरान लेख किये गये कथनों के आधार पर संदेही आशुतोष त्रिपाठी से 20 फरवरी 2021 कोको रैन बसेरा धवारी के पास अभिरक्षा में लेकर साक्षीगणों के समक्ष पूछताछ की गई। मेमोरेण्डम कथन में संदेही द्वारा प्रकट की गई जानकारी के आधार पर गुमशुदा/मृतिका भानू केवट का शव बरामद किया गया एवं अपराध से संबंधित अन्य वस्तुए बरामद की गई। देहाती मर्ग इंटीमेशन रिपोर्ट एवं देहाती अपराध की मौके पर कायमी की गई और उसके पश्चात थाना कोतवाली में नम्बर पर मर्ग क्रमांक 15/21 एवं अपराध क्रमांक 149/21 पर अपराध अंतर्गत धारा 302, 201 भादसं आशुतोष त्रिपाठी के विरूद्ध कायम किया गया। विवेचना के दौरान घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया एवं आरोपी को गिरफ्तार किया गया तथा शव पोस्टमार्टम कराया गया तथा साक्षीगण के कथन लेख किये गये। विवेचना के दौरान जप्त वस्तुओं को परीक्षण एवं डीएनए रिपोर्ट हेतु विधि विज्ञान प्रयोगशाला सागर भेजा गया। संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र माननीय न्यायालय में प्रस्तुत हुआ। मृतिका का शव गुमशुदगी के लगभग 58 दिन बाद डिकम्पोज अवस्था में बरामद हुआ था । डीएनए रिपोर्ट से मृतिका की पहचान स्थापित हुई ।
अभियोजन द्वारा मामले में कुल 21 गवाह एवं 17 आर्टिकल प्रस्तुत किये और अपने पक्ष में कुल 52 दस्तावेज प्रदर्शित कराये गये एवं लिखित अंतिम तर्क प्रस्तुतत किया गया । उपरोक्त साक्षियों के न्यायालयीन कथन, प्रदर्शित दस्तावेज एवं आर्टिकल एवं अभियोजन द्वारा प्रस्तुत लिखित अंतिम तर्क से अभियोजन का मामला अभियुक्त के विरूद्ध युक्तियुक्त संदेह से परे प्रमाणित किया गया है । जिसके आधर पर न्यायालय द्वारा उपरोक्त दंडादेश पारित किया गया ।

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