vuluture tagging: पन्ना/ पन्ना टाइगर रिजर्व में भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के विशेषज्ञों की मदद से एक रेड हेडेड वल्चर की सफलता पूर्वक रेडियो टैगिंग की गई है। क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व उत्तम कुमार शर्मा ने जानकारी देते हुए आज बताया कि योजना के तहत अध्ययन हेतु विभिन्न प्रजाति के 25 गिद्धों का रेडियो टैगिंग किया जाना है। जिसके तारतम्य में गत 6 दिसम्बर को वन परिक्षेत्र गहरीघाट के झालर घास मैदान में एक रेड हेडेड वल्चर का जी.पी.एस. टैग किया गया। इस प्रजाति का गिद्ध पन्ना टाइगर रिज़र्व में पाया जाता है। टैगिंग के उपरान्त गिद्ध को जब खुले आकाश में छोड़ा गया तो वह पलक झपकते ही ऊंंची उड़ान पर निकल गया।
गिद्ध एक देश से दूसरे देश की दूरियां तय करते हैं
क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि गिद्धों के बारे में कहा जाता है कि ये बहुत लंबी-लंबी दूरियां तय करते हैं। गिद्ध एक देश से दूसरे देश की दूरियां भी तय करते हैं। रेडियो टैगिंग के कार्य से गिद्धों के रहवास, प्रवास के मार्ग एवं पन्ना लैण्डस्केप में उनकी उपस्थिति आदि की जानकारी ज्ञात हो सकेगी, जिससे भविष्य में उनके प्रबंधन में मदद मिलेगी।
गिद्धों की 7 प्रजातियां पन्ना टाइगर रिजर्व में
मालूूम हो कि पन्ना टाइगर रिजर्व में गिद्धों की सात प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से चार प्रजातियां पन्ना बाघ अभयारण्य की निवासी हैं जब कि शेष तीन प्रजातियां प्रवासी हैं। गिद्धों के प्रवास मार्ग हमेशा से ही वन्य जीव प्रेमियों के लिए कौतूहल का विषय रहे हैं। गिद्ध न केवल एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश बल्कि एक देश से दूसरे देश मौसम अनुकूलता के हिसाब से प्रवास करते हैं। इस अध्ययन के तहत 25 गिद्धों को टैग करने की योजना है, कोशिश की जा रही है कि सभी प्रजातियों को टैग किया जा सके। जी.पी.एस. टैग से विभिन्न प्रजाति के गिद्ध कैसे रहते हैं, कैसे प्रवास करते हैं तथा रास्ते की भी जानकारी सब प्राप्त होगी। जो गिद्धों के प्रबंधन व उनके संरक्षण के लिए लाभकारी साबित होगा।