MP News: गुना/ गुना जिला मुख्यालय पर कुपोषण से छह माह की हिमांशिका जाटव की मौत ने जिला प्रशासन के कुपोषण मिटाने के तमाम दावों की पोल खोल दी। हिमांशिका की मौत गुरुवार देर रात को जिला अस्पताल में हुई। उसे इलाज के लिए एनआरसी के बाद पीआइसीयू में भर्ती किया गया था। जिले में वर्तमान में करीब 14 सौ बच्चे कुपोषण से जूझ रहे हैं। गुना जिला प्रशासन कुपोषितों को सुपोषित करने को लेकर एक अभियान चलाकर 30 फीसद बच्चों को स्वस्थ करने का दावा कर रहा है। दूसरी ओर गुरुवार रात एक बजे जिले के रामपुरा गांव के मनोज जाटव की छह महीने की बेटी हिमांशिका ने जिला अस्पताल के पीआइसीयू में दम तोड़ दिया। इस घटना को अस्पताल के डॉक्टर से लेकर प्रत्येक कर्मचारी अगले दिन छुपाता रहा। यहां तक कि मौके से भर्ती रजिस्टर भी गायब करा दिया गया।
इस बारे में जब सिविल सर्जन डॉ. एचवी जैन से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया तीन महीने की हिमांशिका का वजन ढाई किलो था। 29 नवंबर को वह भर्ती हुई थी, बाद में एक दिसंबर को जिला अस्पताल की एनआरसी में भर्ती किया गया लेकिन बीती रात तबीयत बिगड़ने पर उसे पीआइसीयू में भर्ती करा दिया गया। कुपोषित बच्ची को झटके आने लगे। रात आठ बजे से लेकर 12 बजे तक तबीयत में कोई सुधार नहीं हुआ। उस समय डॉ. द्विवेदी ड्यूटी पर थे, जिन्होंने बच्ची को बचाने की बहुत कोशिश की, लेकिन बचाया नहीं जा सका। डॉ. जैन हिमांशिका की उम्र तीन माह बता रहे हैं, जबकि हिमांशिका 17 अगस्त को जिला अस्पताल में ही इलाज के एक बार और भर्ती की जा चुकी थी।
डॉक्टर बोले- मां ने नहीं पिलाया दूध
जिला अस्पताल प्रशासन ने हिमांशिका की मौत के बाद कहा कि उसकी मां ने जन्म बाद से उसे दूध नहीं पिलाया, जिसकी वजह से वह कुपोषित हो गई। हालांकि, डॉक्टरों ने यह भी बताया कि पिछले कुछ समय से बच्ची के गले से तरल पदार्थ नहीं उतर रहा था, जिसकी वजह से वह कमजोर हो चुकी थी।