- 10 दिनों का रहेगा देवी आराधना का पर्वकाल
- शक्तिपीठ हरसिद्धि क्षेत्र में साधना करेंगे साधक
- शुक्र और मंगल ग्रह का राशि परिवर्तन होगा
Vrat tyohar gupt navratri 2024 will begin with punarvasu nakshatra this time goddess durga will be worshipped for 10 days: digi desk/BHN/उज्जैन/आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर शनिवार (06 जुलाई, 2024) से गुप्त नवरात्र का आरंभ होगा। इस बार देवी आराधना का पर्वकाल 10 दिन का रहेगा। शक्तिपीठ हरसिद्धि व गढ़कालिका क्षेत्र में साधक तंत्र, मंत्र व यंत्र की सिद्धि के लिए साधना करेंगे।
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया कि पंचांग की गणना के अनुसार, इस बार गुप्त नवरात्र का आरंभ शनिवार को पुनर्वसु नक्षत्र, व्याघात योग व किंस्तुघ्न करण की साक्षी में हो रहा है। इस बार गुप्त नवरात्र 10 दिनों के रहेंगे, ऐसी स्थिति इसलिए हुई क्योंकि आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष का 13 दिन का पक्ष काल था। गुप्त नवरात्र में तिथि की वृद्धि होने से यह स्थिति बनी। श्रीमद् देवी भागवत के अनुसार यदि नवरात्र में तिथि की वृद्धि होना शुभ माना जाता है।
वर्षभर में चार नवरात्र विशेष
शक्ति उपासना के लिए नवरात्र विशेष माने जाते हैं। वर्षभर में चार नवरात्र का संयोग बनता है। इसमें दो गुप्त व दो प्रकट नवरात्र कहे गए हैं। चैत्र व अश्विन के नवरात्र प्रकट तथा माघ व आषाढ़ मास के नवरात्र गुप्त नवरात्र माने जाते हैं।
आदि शक्ति की कृपा प्राप्त करने के लिए देवी की विभिन्न स्तोत्रों का पाठ या मंत्रों के माध्यम से कृपा प्राप्त की जा सकती है। गुप्त साधक गुप्त नवरात्र में वैदिक उपासना करेंगे।
शुभ मांगलिक कार्यों के लिए खास है पक्षकाल
नवरात्र के 10 दिनों में 15 जुलाई तक शुभ मांगलिक कार्य के सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त रहेंगे। पंचांग की गणना के अनुसार जुलाई माह में 8, 9,11,12 व 15 तारीख में विवाह, गृह आरंभ, वास्तु पूजा, नवीन प्रतीष्ठान का शुभारंभ, वाहन व इलेक्ट्रानिक्स उत्पाद खरीदने के खास मुहूर्त हैं। इसके बाद 17 जुलाई देवशयनी एकादशी से चातुर्मास का शुभारंभ हो जाएगा और अगले चार माह मांगलिक कार्यों पर विराम रहेगा।
ग्रहों का राशि व नक्षत्र परिवर्तन भी होगा
इस बार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की गुप्त नवरात्र में दो ग्रहों का राशि परिवर्तन एवं दो ग्रह नक्षत्र परिवर्तन होने जा रहा है। सात जुलाई को तड़के 4 बजकर 31 मिनट पर शुक्र ग्रह का कर्क राशि में प्रवेश होगा। शुक्र के राशि परिवर्तन करते ही वर्षा ऋतु की स्थिति में और अनुकूलता आएगी।
वहीं, राहु का उत्तरा भाद्रपद के चौथे चरण में तथा केतु का हस्त नक्षत्र के दूसरे चरण में प्रवेश होगा। 12 जुलाई को मंगल का वृषभ राशि में प्रवेश होगा। मंगल मेष राशि को छोड़कर वृषभ में प्रवेश करेंगे, मंगल का वृषभ में परिवर्तन भी वर्षा ऋतु के चक्र को स्पष्ट करेगा।