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श्रीगणेश को तिल-गुड़ का लगाया भोग, रात में चंद्र दर्शन कर होगा व्रत का समापन

Sankashti Chaturthi 2020: ग्वालियर/ संकष्टी चतुर्थी व्रत मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि व पुनर्वसु नक्षत्र में गुरुवार को रखा गया। चंद्र उदय का समय रात 8:10 बजे का है। संकष्टी चतुर्थी के दिन गुरुवार को सुबह श्रद्धालुओं ने भगवान गणेश का विशेष पूजन किया। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि इस बार संकष्टी चतुर्थी पर सर्वार्थ सिद्धि योग बना है, जिससे सभी कार्य पूर्ण होंगे।

गौरतलब है कि भगवान गणेश अन्य सभी देवी-देवताओं में सर्वप्रथम पूज्य हैं। श्रीगणेश को बुद्धि, बल और विवेक का देवता माना जाता है। भगवान गणेश के लिए किया जाने वाला संकष्टी चतुर्थी व्रत काफी प्रचलित है। श्रद्धालुओं ने गुरुवार को भगवान गणेश को तिल, गुड़, लड्डू, दूर्वा, चंदन और मीठा अर्पित किया और उनके सामने धूप-दीप जलाकर गणेश वंदना कर सुख समृद्धि की कामना की। रात्रि में चांद निकलने से पहले गणपति पूजा करके संकष्टी व्रत कथा की जाएगी। इसके बाद रात में चंद्र दर्शन करने के बाद व्रत को खोला जाएगा। मान्यता है कि सूर्योदय से शुरू होने वाला संकष्टी चतुर्थी व्रत चंद्र दर्शन के बाद ही समाप्त होता है।

घर से नकारात्मक शक्तियां होती हैं दूर

संकष्टी चतुर्थी पर गणेश पूजन करने से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। लोग अपने कष्टों से मुक्ति पाने के लिए भगवान गणेश की अराधना करते हैं। श्रद्धालुओं ने मनचाहा वरदान पाने के लिए भगवान गणेश की पूजा करने के साथ ही व्रत भी रखा। संकष्टी चतुर्थी का अर्थ संकट को हरने वाली चतुर्थी से है। इस दिन चंद्रमा बुध ग्रह की मिथुन राशि में है तथा सूर्य मंगल की राशि वृश्चिक में है।

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