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Anuppur: नवजात का शव लेने के लिए परिजनों ने किया अस्पताल में प्रदर्शन

अनूपपुर, भास्कर हिंदी न्यूज़/ जिला अस्पताल अनूपपूर से एक नवजात का शव गायब होने का मामला दिन भर गरमाया रहा। शाम करीब छह बजे अधिकारियों के आश्वासन के बाद पीड़ित परिवार धरना स्थल से उठा। ड्यूटी के दौरान एक नर्सिंग स्टाफ तथा अन्य स्टाफ कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस दी गई है। मृत नवजात के परिजनों का आरोप है कि डिलीवरी रूम से नवजात का शव नहीं दिया गया। जबकि ड्यूटी में मौजूद नर्सों का कहना है कि नवजात सौंप दिया गया है। इस मामले को लेकर एसडीएम ,तहसीलदार, एसडीओपी अनूपपूर, सिविल सर्जन अस्पताल पहुंचे सीसीटीवी कैमरे से हकीकत का पता करने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन कोई ऐसा तथ्य सामने नहीं आया जिससे पता चल सके कि नवजात का शव गया कहां।

यह है मामला

जिला मुख्यालय के समीपस्थ ग्राम जमुड़ी का मोहम्मद हनीफ की पत्नी रुखसाना को लेकर सोमवार की रात करीब दस बजे पत्नी को प्रसव पीड़ा होने पर अस्पताल लेकर पहुंचा। करीब छह माह का नवजात महिला ने जन्मा जो मृत था। करीब बारह बजे मृत नवजात का फोटो स्वजन ने खींची। मोहम्मद हनीफ का कहना है कि रात में मृत बच्चा दिखा कर एक कोरे कागज में हस्ताक्षर करवा लिया गया और कहा गया सुबह ले जाना। सुबह सात बजे पहुंचे तो लाकर देते हैं कहकर फिर कहा गया नहीं हैं। धीरे-धीरे यह मामला तूल पकड़ लिया। मोहम्मद हनीफ के परिवार के अन्य सदस्य भी अस्पताल पहुंच गए। नवजात के शव को देने में अस्पताल के कर्मचारी एक दूसरे के ऊपर जिम्मेदारी थोपते रहे। आखिरकार नाराज होकर अस्पताल के मुख्य द्वार पर ग्राम जमुड़ी से आए लोग नवजात का शव वापस दिए जाने की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन करने लगे जो देर शाम तक जारी रहा। मामला गंभीर देखते हुए एसडीएम कमलेश पुरी, तहसीलदार भागीरथी लहरें अस्पताल पहुंचे और मेटरनिटी वार्ड में जाकर रात के समय जो भी स्टाफ मौजूद था से चर्चा की और वहां लगे सीसीटीवी कैमरे की पड़ताल की गई लेकिन इससे भी कोई अपेक्षित नतीजा सामने नहीं आया। अस्पताल प्रबंधन और पुलिस अधिकारी घंटों इस मामले की पड़ताल करते रहे कि आखिर नवजात का मृत भ्रूण आखिर गया कहां। जिला अस्पताल में इस तरह का यह तीसरा मामला है जिसमें अस्पताल कर्मचारियों की लापरवाही उजागर हुई है। देर शाम अस्पताल और प्रशासन के अधिकारियों ने पीड़ित परिवार के सदस्यों को आश्वासन दिया कि इस मामले में जो भी दोषी है के खिलाफ जांच करते हुए कार्रवाई की जाएगी। इस दौरान पीड़ित परिवार को रोगी कल्याण मद से दस हजार रुपये की आर्थिक सहायता राशि दी गई।

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