Health news the risk of death increases by about 120 times after corona infection reveals a new study: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ कोरोना महामारी के खत्म होने के बाद भी इस पर दुनिया भर में रिसर्च चल रहे हैं और इसके दुष्प्रभावों को समझने की कोशिश हो रही है। इसी कोशिश में लंदन की क्वींस मैरी यूनिवर्सिटी ने एक चौंकानेवाला खुलासा किया है। कोरोना के बाद मरीजों पर होने वाले दुष्प्रभावों को लेकर एक स्टडी में पता चला है कि जो लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं, उनमें ब्लड क्लॉटिंग और दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। यही नहीं, गैर-संक्रमितों की तुलना में संक्रमितों में मौत का खतरा भी ज्यादा होता है।
क्या कहती है स्टडी
यूके की क्वींस मैरी यूनिवर्सिटी ने लंदन के 54 हजार से ज्यादा संक्रमित और गैर-संक्रमित लोगों पर एक स्टडी की और स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली। इस स्टडी में दोनों तरह के व्यक्तियों के सेहत की तुलना की गई और फिर निष्कर्ष निकाले गये।
- जो लोग कोरोना से संक्रमित हुए, उनमें दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। वहीं, जिन कोरोना मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया गया, उनमें गैर-संक्रमितों की तुलना में ब्लड क्लॉटिंग और हार्ट डिसीज का खतरा और ज्यादा रहता है।
- अस्पताल में भर्ती होनेवाले कोरोना मरीजों में गैर-संक्रमितों की तुलना में ब्लड क्लॉटिंग का खतरा 27.6 गुना, हार्ट फेल्योर का खतरा 21.6 गुना, स्ट्रोक का खतरा 17.5 और कार्डिक अर्थिमिया का 10 गुना खतरा ज्यादा रहता है।
- इतना ही नहीं, ऐसे कोरोना मरीजों में मौत का खतरा भी गैर-संक्रमितों के मुकाबले 118 गुना ज्यादा होता है।
- इसी तरह ऐसे कोरोना मरीज, जो अस्पताल में भर्ती नहीं हुए, उनमें गैर-संक्रमितों की तुलना में ब्लड क्लॉटिंग का खतरा 2.7 गुना ज्यादा रहता है। ऐसे मरीजों में मौत का खतरा भी गैर-संक्रमितों की तुलना में 10.2 गुना ज्यादा पाया गया।
- स्टडी के मुताबिक, कोरोना से संक्रमित हो ने के 30 दिनों के भीतर ब्लड क्लॉटिंग और दिल से जुड़ी बीमारी होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। लेकिन ये खतरा कोरोना से रिकवर होने के बाद भी लंबे समय तक बना रह सकता है।
ये मामला कितना गंभीर है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि क्वीं स मैरी यूनिवर्सिटी की स्टडी की तर्ज पर ही कैलिफोर्निया के Smidt Heart Institute ने भी अपनी स्टडी में इसी तरह के रिजल्ट हासिल किये हैं। उनकी स्टडी में ये बात सामने आई है कि कोरोना की वजह से, 24 से 44 एज ग्रुप के लोगों में हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा बढ़ गया है। आंकड़ा पर गौर करें तो ये बात बिल्कुल साफ हो जाती है। कोरोना काल से पहले हार्ट अटैक से मौत की संख्या 1.44 लाख रही थी, लेकिन कोरोना काल में ये आंकड़ा 1.64 लाख पहुंच गया, यानी कि सीधे-सीधे 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई। ऐसे में इस स्टडी को गंभीरता से लेना बेहतर होगा।