Diabetes and Heart Attack: digi desk/BHN/ बीते कुछ समय में कार्डियक अरेस्ट या हार्ट अटैक के मामलों में बढ़ोतरी हुई है, ऐसे में हेल्थ एक्सपर्ट ने डायबिटीज मरीजों को विशेष रूप में अलर्ट रहने की सलाह दी है। दरअसल साइलेंट हार्ट अटैक के अधिकांश मामले डायबिटीज मरीजों में ज्यादा हो सकते हैं। डायबिटीज मरीजों में इंसुलिन की कमी के कारण ग्लूकोज की मात्रा शरीर में ज्यादा हो ज्यादा है, जिसका असर दिल पर भी होता है।
साइलेंट हार्ट अटैक के नहीं दिखते पहले से लक्षण
साइलेंट हार्ट अटैक में मरीज को पहले से कोई नहीं दिखाई देते हैं, इसलिए साइलेंट हार्ट अटैक ज्यादा खतरनाक माना जाता है क्योंकि इसमें मरीज की तत्काल मौत हो जाती है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक हार्ट अटैक के सालाना 8,05,000 मामलों में से 1,70,000 केस साइलेंट हार्ट अटैक के होते हैं।
साइलेंट हार्ट अटैक का डायबिटीज से संबंध
यह अनुमान लगाया गया है कि 50 से 60 प्रतिशत तक मधुमेह रोगी में दिल के रोग से भी प्रभावित होते हैं। मुंबई के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ रुचित शाह का कहना है कि जब शरीर में शुगर लेवल बढ़ जाता है तो इस कारण से ब्लॉकेज होने की भी आशंका बढ़ जाती है। यहां ब्लॉकेज से कोरोनरी धमनियों, मस्तिष्क धमनियों और गुर्दे के रक्त प्रवाह में रक्त प्रवाह की धीमी गति होना है। शुगर की अधिकता शरीर की रक्त वाहिकाओं में रुकावट पैदा करती है, जिसे ‘एथेरोस्क्लोरोटिक हृदय रोग’ कहा जाता है। मधुमेह के रोगियों में उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, स्ट्रोक, गुर्दे की बीमारियां और आंख की रेटिना में दिक्कत देखने में आती है।
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन अभी तक यह मान रहा था कि मधुमेह से पीड़ित महिलाओं में साइलेंट हार्ट अटैक होने का खतरा अधिक होता है, लेकिन 2021 के एक शोध में पता चला है कि साइलेंट हार्ट अटैक की घटनाओं की संख्या महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक है।