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Combat uniforms : पेटेंट होने से पहले बाजारों में पहुंची सैनिकों के लिए बनने वाली नकली काम्बैट यूनिफार्म

Fake combat uniforms made for soldiers reached market: digi desk/BHN/जबलपुर/ सैनिकों के लिए खास तरह के कपड़े से बनाई जाने वाली काम्बैट यूनिफार्म की मिलती-जुलती यूनिफार्म जवानों को सप्लाई होने से पहले ही बाजार में बिकने लगी है। इस यूनिफार्म की पेटेंट प्रक्रिया होना भी शेष है। जबलपुर सहित देश के कई अन्य शहरों में यह मिलती-जुलती वर्दी बाजारों उपलब्ध होने की जानकारी सेना के जिम्मेदारों तक पहुंची। इसके बाद सेना के अफसरों ने जिला पुलिस के साथ विभिन्न बाजारों में निरीक्षण किया। दुकानदारों को बताया गया कि इस तरह कपड़े से बनी वर्दी का विक्रय गैर कानूनी है।

जवानों के लिए आरामदायक जिस डिजिटल काम्बैट यूनिफार्म को डिजाइन किया गया था। उस काम्बैट यूनिफार्म के ट्रेडमार्क को रजिस्टर्ड और पैटर्न को पेटेंट कराने की सेना की प्रक्रिया के बीच देश के सैन्य स्टेशनों के बाजारों में हुबहू इसकी नकल वाली यूनिफार्म पहुंच गई है। इसकी खबर लगते ही रक्षा मंत्रालय ने अपने जवानों को पुराने पैटर्न की ही काम्बैट यूनिफार्म खरीदने की एडवाइजरी जारी कर दी है। साथ ही मिलिट्री पुलिस इस सिंडीकेट का पता लगाने में जुट गई है। जबलपुर और लखनऊ सहित देश के कई सैन्य स्टेशनों के आस-पास के बाजारों में मिलिट्री पुलिस ने जिला पुलिस बल के साथ विशेष अभियान चलाया। इस दौरान वर्दी का कपड़ा बेचने और उसकी सिलाई वाली दुकानों पर जांच की गई। शहर में सदर बाजार सहित फुहारा क्षेत्र की अनेक दुकानों में सेना पुलिस और जिला पुलिस ने व्यापारियों को समझाइश दी कि इस खास कपड़े की वर्दी बेचना गैर कानूनी है।

एनएफआइटी की टीम ने डिजाइन की थी

राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान के प्रोफेसरों की टीम ने इस नई डिजिटल काम्बैट यूनिफार्म तैयार किया है। इस नई यूनिफार्म में हल्के कपड़े का इस्तेमाल किया गया है। जो जवानों को रेगिस्तान से लेकर सियाचिन तक दुर्गम आपरेशनल क्षेत्रों में आराम देगी। यूनिफार्म का रंग आलिव ग्रीन है। साथ ही दूसरे कई शेड्स को मिलाकर इसे कैमोफ्लाज पैटर्न पर तैयार किया गया है। इसी साल सेना-दिवस के अवसर पर 15 जनवरी को यूनिफार्म को सार्वजनिक किया गया था।

अगस्त तक सेना के सभी जवानों को उपलब्ध कराने की तैयारी की थी। इस यूनिफार्म के ट्रेडमार्क को सेना रजिस्टर्ड कराकर इसका पैटर्न पेटेंट कराने की तैयारी कर रही है। जिससे जवानों को मिलने वाली काम्बैट यूनिफार्म की डिजाइन, पैटर्न और रंग व गुणवत्ता में एकरूपता बनी रही। इस प्रक्रिया के बाद सेना वेंडर का चयन करेगी, जो इसी स्टैंडर्ड की यूनिफार्म का कपड़ा तैयार करेगी। इसको सैन्य स्टेशनों में पंजीकृत कपड़ा विक्रेताओं को बेचा जाएगा। वहीं इन दिनों लुधियाना, हैदराबाद, दिल्ली, बेंगलुरू, जबलपुर सहित कई सैन्य स्टेशनों की बाजारों में इसकी नकल वाली यूनिफार्म पहुंच गई है। कुछ कपड़ा मिलों ने नए पैटर्न की काम्बैट यूनिफार्म बनाकर उसे बेच दिया। अब मिलिट्री पुलिस इस वर्दी की बिक्री पर रोक लगाने के लिए सभी सैन्य स्टेशनों की बाजारों में छापेमारी कर रही है।

इनका कहना है 

सेना की नई काम्बैट यूनिफार्म के ट्रेडमार्क के रजिस्ट्रेशन और पैटर्न को पेटेंट कराने की प्रक्रिया चल रही है। कुछ जगहों पर इससे मिलती-जुलती यूनिफार्म को बेचे जाने की सूचना मिली है, जिसे ध्यान में रखते हुए मिलिट्री पुलिस ने सदर सहित कुछ अन्य बाजारों में जिला पुलिस के साथ जागरूकता अभियान चलाया। सेना की यूनिफार्म बेचने वालों को बताया गया कि वो ऐसा नहीं करें। यह गैर कानूनी है।-
ले.कर्नल एमएस धारीवाल, पीआरओ-एमबी एरिया

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