Amla Navami 2020: ujjain/ 23 नवंबर, कार्तिक मास के सोमवार को अक्षय आंवला नवमी मनाई जाएगी। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं, आरोग्यता और सुख-समृद्धि बनी रहती है। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि आंवला नवमी पर आंवले के पेड़ के नीचे पूजा और भोजन करने की प्रथा की शुरुआत माता लक्ष्मी ने की थी। कथा के अनुसार, एक बार मां लक्ष्मी पृथ्वी पर घूमने के लिए आईं। धरती पर आकर मां लक्ष्मी सोचने लगीं कि भगवान विष्णु और शिवजी की पूजा एक साथ कैसे की जा सकती है। तभी उन्हें याद आया कि तुलसी और बेल के गुण आंवले में पाए जाते हैं। तुलसी भगवान विष्णु को और बेल शिवजी को प्रिय है।
उसके बाद मां लक्ष्मी ने आंवले के पेड़ की पूजा करने का निश्चय किया। मां लक्ष्मी की भक्ति और पूजा से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु और शिवजी साक्षात प्रकट हुए। माता लक्ष्मी ने आंवले के पेड़ के नीचे भोजन तैयार करके भगवान विष्णु व शिवजी को भोजन कराया और उसके बाद उन्होंने खुद भी वहीं भोजन ग्रहण किया। मान्यताओं के अनुसार, आंवला नवमी के दिन अगर कोई महिला आंवले के पेड़ की पूजा कर उसके नीचे बैठकर भोजन ग्रहण करती है, तो भगवान विष्णु और शिवजी उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण करते हैं। इस दिन महिलाएं अपनी संतना की दीर्घायु तथा अच्छे स्वास्थ्य लेकर कामना करती हैं।
आंवला नवमी पर विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और यह कथा सुनी जाती है। मान्यता है कि इस कथा को सुनने से व्रत रखने वाली महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। माता लक्ष्मी भी उनके परिवार पर प्रस्नन होती है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने की भी परंपरा है। महिलाओं सूर्योदय से पूर्व स्नान करने के आंवले पेड़ की पूजा करती हैं। इसके बाद पूरा परिवार आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करता है।