There were tears of sorrow for the coach of madhya pradesh ranji team chandrakant pandit today tears of happiness: digi desk/BHN/इंदौर/ निश्चित रूप से आज चंद्रकांत पंडित से ज्यादा खुश कोई नहीं होगा। क्रिकेट को जीने वाले छोटे कद के इस शख्स ने मध्य प्रदेश के क्रिकेट को उन ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया जहां कदम रखने का सपना हर प्रादेशिक होता है। उस मैदान पर जहां 23 साल पहले बेहद नजदीकी अंतर से एक कप्तान के रूप में चंद्रकांत पंडित के नेतृत्व में मध्य प्रदेश रणजी को पराजय का कड़वा घूंट पीना पड़ा था आज उसी बेंगलुरू के चिन्नास्वामी स्टेडियम में चंद्रकांत पंडित के प्रशिक्षण में मध्य प्रदेश के रणबांकुरों ने इतिहास रच दिया और 41 बार की घरेलू क्रिकेट चैंपियन मुंबई टीम को शिकस्त देकर रणजी ट्राफी पहली मर्तबा अपने नाम कर ली।
23 साल पहले पंडित की आंखों में गम में आंसू थे और आज आंंसुओंं के साथ खुशी झर रही थी। मध्य प्रदेश टीम 65 साल में पहली मर्तबा रणजी ट्राफी चैंपियन बनी है। पंडित के साथ आज मध्य प्रदेश के अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त क्रिकेटर स्वर्गीय कैप्टन मुश्ताक अली का भी सपना साकार हुआ, जो हर मुलाकात में कहते थे- मैं चाहता हूं मेरे जीतेजी मध्य प्रदेश टीम रणजी ट्राफी जीते। तब तो ऐसा हो नहीं पाया, मगर आज वह शुभ दिन आ ही गया।
अपने कोच रहते मुंबई और विदर्भ को राष्ट्रीय क्रिकेट चैंपियन बना चुके पंडित के लिए यहां तक का सफर आसान नहीं रहा। उन पर कम अंंगुलियां नहीं उठी, लेकिन उन्होंने टीम की बेहतरी के लिए हर संभव प्रयोग किया। अपने खिलाड़ियों पर विश्वास किया और यह मेहनत खिताबी जीत के रूप में रंग लाई।
एकाधिक अवसरों पर मैचों के दौरान पंडित को एक कोने में ही अकेले बैठे देखा। उनसे बात करने का प्रयास भी किया जाता तो सपाट जवाब होता- राजा अभी मैच चल रहा है। इसके बाद बात करेंगे। आज भी यही आलम था। रणजी फाइनल के अंतिम दिन का खेल आरंभ होने से अंतिम गेंद डल जाने तक पंडित बेहद खामोशी से अपने खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर नजर रख रहे थे। सेमीफाइनल जीत के बाद जब उन्हें शुभकामनाएं और बधाई दी तब भी एक लाइन की प्रतिक्रिया थी- अभी लंबा सफर बाकी है।
मीडिया से बातचीत में भी पंडित ने कहा कि 23 साल पहले मैंने यह मैदान छोड़ा था और ईश्वर के आशीर्वाद से हमने यहां वापसी की। उन्होंने कप्तान के साथ पूरी युवा टीम के खेल को सराहा और दोहराया कि वे मध्य प्रदेश में क्रिकेट की संस्कृति को पल्लवित करना चाहते हैं।