उमरिया,भास्कर हिंदी न्यूज़/ बांधवगढ़ को बाघों का गढ़ बनाने में बाघिनों का विशेष योगदान रहा है। अपने-अपने समय पर बांधवगढ़ की बाघिनों ने दुनियाभर में प्रसिद्धि हासिल की है। अब इन्हीं में तारा बाघिन भी शुमार हो गई है, जो इन दिनों पर्यटकों की आंखों का तारा बनी हुई है। आमतौर पर बढ़े होते शावकों के साथ रहने के दौरान बाघिन, बाघ से दूरी बना लेती है लेकिन तारा शावकों को लेकर बाघ छोटा भीम के साथ ही रह रही है। छोटा भीम भी इस पर आपत्ति नहीं करता। ऐसी ही कहानी 25 साल पहले बाघिन सीता और बाघ चार्जर की भी थी। वे दोनों भी शावकों के साथ ही रहते थे और आखिरी समय तक एक साथ ही रहे।
तीन शावकों को खो चुकी है तारा
तारा बाघिन ने जब पहली बार तीन शावकों को जन्म दिया था, तो वह उन्हें बचा नहीं पाई थी। उन शावकों को जवान होते एक बाघ ने मार दिया था। दूसरी बार में उसने चार शावकों को जन्म दिया है, जो करीब 20 माह के हो चुके हैं। बाघिन ने खितौली गेट के पास डमडमा नाले व उसके आसपास अपनी टैरेटरी (इलाका) बना रखा है। बाघिन अपने मौजूदा चार शावकों और बाघ छोटा भीम के साथ इस क्षेत्र में रह रही है।
सीता और चार्जर की 11वीं पीढ़ी
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पूर्व फील्ड डायरेक्टर मृदुल पाठक बताते हैं कि बांधवगढ़ में अब सीता और चार्जर की 11वीं पीढ़ी विचरण कर रही है। तारा की मां पुरानी डमडमा बाघिन भी सीता की तीसरी पीढ़ी की संतान थी।
बांधवगढ़ में बाघिनों की अहम भूमिका
मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघिनों का विशेष योगदान रहा है। बांधवगढ़ के वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर सुखसागर पांडेय के मुताबिक बाघों के प्रजनन, रहवास, आवास और भोजन के लिए दुनिया का सबसे बेहतर वातावरण बांधवगढ़ में मौजूद है।
ये बाघिनें रहीं हैं प्रसिद्ध
बांधवगढ़ की स्थापना से लेकर अब तक सीता फीमेल, पुरानी चक्रधरा, झोरझरा फीमेल, लंगड़ी फीमेल, कनकटी फीमेल, पटिहा फीमेल, राजबहेरा फीमेल, सोलो फीमेल के बाद जूनियर कनकटी ने प्रसिद्धि की ऊंचाइयों को छुआ है।
तारा और छोटा भीम की खूबियां
तारा बाघिन लंबी-चौड़ी कदकाठी और सजह स्वभाव के कारण पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है। वहीं छोटा भीम अपने विशाल डीलडौल के कारण पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बना रहता है। (साभार)