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Satna: जल संरक्षण, संवर्धन को जनान्दोलन का रुप दिया जाये- डॉ विजय शाह

प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता में जिला जल संसद संपन्न

सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ जिले के प्रभारी मंत्री डॉ कुंवर विजय शाह ने कहा कि जलाभिषेक अभियान के अंतर्गत जल संरक्षण, पानी रोकने और जल संवर्धन के कार्यों में अधिकाधिक सामुदायिक सहभागिता शामिल कर इसे जन आंदोलन का रूप दिया जाए। आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में प्रभारी मंत्री डॉ शाह सतना जिले में बुधवार को कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आयोजित जिला जल संसद को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर विधायक नागेंद्र सिंह, विक्रम सिंह, कल्पना वर्मा, जिला पंचायत की प्रधान सुधा सिंह, जिलाध्यक्ष नरेंद्र त्रिपाठी, जिला पंचायत सदस्य उमेश प्रताप सिंह, जनपद नागौद की प्रधान गायत्री पटेल, कलेक्टर अनुराग वर्मा, सीईओ जिला पंचायत डॉ परीक्षित राव, डीएफओ विपिन पटेल सहित विभाग प्रमुख अधिकारी एवं जनपद पंचायत के सीईओ उपस्थित थे।

जिला जल संसद को संबोधित करते हुए प्रभारी मंत्री डॉ शाह ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में पुरानी और बड़ी जल संरचनाएं जलाभिषेक अभियान में प्राथमिकता पूर्वक शामिल करें। इसके अलावा नल जल योजनाएं और पुराने जल स्त्रोतों को रिचार्ज करने की गतिविधियां भी शामिल करें। प्रभारी मंत्री डॉ शाह ने कहा कि मुख्यमंत्री जी की मंशानुसार जिले में अमृत सरोवर की 78 चिन्हांकित जल संरचनाओं का कार्य शीघ्र प्रारंभ करें, ताकि बरसात के पहले इन्हें पूरा किया जा सके।

प्रभारी मंत्री डॉ शाह ने ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रीष्म काल के दौरान पेयजल की सुचारू व्यवस्था के लिए सुधार योग्य और मोटर जली या अन्य कारणों से बंद नल जल योजनाओं के सुधार की कार्य योजना 15 दिवस में प्रस्तुत करने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिए हैं। उन्होंने जलाभिषेक अभियान को गांव-गांव में समुदाय की सहभागिता से जन आंदोलन के रूप में चलाने के निर्देश दिए हैं।
विधायक नागौद नागेंद्र सिंह ने कहा कि जिले की औसत वर्षा 1100 मिलीमीटर से घटकर 7-8 सौ मि.मी हो गई है। इन परिस्थितियों में बारहों महीने जलयुक्त रहने वाली नदियों, तालाबों में जनवरी माह से पानी कम होने लगता है। जलाभिषेक के माध्यम से इन जल स्त्रोत और संरचनाओं में पानी आवक के रास्ते खोल कर भू-सतही जल को वर्षा में अधिकाधिक संग्रह के प्रयास किए जाने चाहिए।

मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत डॉ परीक्षित राव ने बताया कि जल संसद का प्रमुख उद्देश्य सामुदायिक सहभागिता से अधिक से अधिक जल संरचनाओं के पुनर्जीवन और पानी रोकने के प्रयासों से जल स्त्रोतों को परिपूर्ण करना है। उन्होंने बताया कि जलाभिषेक अभियान के तहत विकास खंड स्तर पर जल सम्मेलन और ग्राम स्तर पर जल यात्राएं निकाली जा रही हैं। जल स्त्रोतों के संधारण के लिए रिज-टू-रैली के सिद्धांत पर कार्य किए जा रहे हैं। जलाभिषेक के तहत जिले में 5764 कार्यों का चिन्हांकन किया गया है। जिनमें 58 कार्य स्वीकृत किए जा चुके हैं। अमृत सरोवर के तहत 78 तालाब और पुष्कर धरोहर योजना में 692 ग्राम पंचायतों में 1287 जल संरचनाओं का चयन किया गया है। जिले की 284 नल जल योजना के सोर्स को रिचार्ज करने का कार्य भी शामिल है।

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