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MP: सूर्य नमस्कार की अनिवार्यता के खिलाफ जनहित याचिका हाईकोर्ट ने निरस्त की

High court dismissed the pil against the imperative of surya namaskar: digi desk/BHN/जबलपुर/हाई कोर्ट ने आजादी के अमृत महोत्सव अंतर्गत सभी शैक्षणिक संस्थाओं में सूर्य नमस्कार की अनिवार्यता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका निरस्त कर दी। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव की युगलपीठ ने अपने आदेश में साफ किया कि जिस आयोजन को चुनौती दी गई थी, वह समाप्त हो गया है। लिहाजा, जनहित याचिका सारहीन और अपोषणीय हो गई है। ऐसे में इस पर आगे सुनवाई जारी रखने का कोई औचित्य शेष नहीं रह गया है।

हिस्सा लेने की बाध्यता को चुनौती दी थी 

भाेपाल निवासी कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने जनहित याचिका के जरिए सूर्य नमस्कार के आयोजन और उसमें हिस्सा लेने की बाध्यता को चुनौती दी थी। उनकी ओर से कहा गया था कि इससे उनके धर्म के लोगों की भावनाएं आहत होती हैं। लिहाजा, इसे स्वेच्छिक किया जाए।

अधिसूचना जारी होने पर शैक्षणिक संस्थाओं में आयोजन की अनुमति दी

जनहित याचिका में कहा गया था कि केंद्र व राज्य की अधिसूचना पर एक जनवरी से सात फरवरी तक आजादी के अमृत महोत्सव के तहत 75 करोड़ सूर्य नमस्कार प्रोजेक्ट संचालित है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने भी 29 दिसंबर, 2021 को अधिसूचना जारी कर सभी शैक्षणिक संस्थाओं में आयोजन की अनुमति दी।

30 राज्यों में हो रहा आयोजन  

यह आयोजन 30 राज्यों के 30 हजार संस्थाओं में हो रहा है। इसमें करीब तीन लाख विद्यार्थी शामिल हो रहे हैं। प्रारंभिक बहस के दौरान जनहित याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई थी कि सूर्य नमस्कार सूर्य पूजा है और इस्लाम में यह मान्य नहीं है।

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